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चैत्य का स्थान
चैत्य की संख्या ५ मेरू पर्वत
३ वर्षधर पर्वत १७० दीर्घ वैताढय पर्वत २० गजदंत पर्वत २० यमक पर्वत ८० वक्षस्कार पर्वत २० वृत्त वैताढय पर्वत
४ इषुकार पर्वत • १००० कंचन गिरि
४० दिग्गज कूट १० उत्तर कुरु देवकुरु १० जम्बू आदि वृक्ष
११७० ४५० कुण्ड (नदी कुंड आदि) ४५०
८० सरोवर १६३६
३१७६ ३१७६ जिनालय हुए प्रत्येक में १२० प्रतिमा अतः ३१७६४१२० का गुणा करने पर ३८१४८० जिन प्रतिमा कुल होती है।
नरक्षेत्रात्तु परतुश्चत्वारि मानुषोत्तरे । । नन्दीश्वरेऽष्पष्टिश्च रूचके कुण्डलेऽपि च ॥२६१॥ चत्वारि चत्वारि चैत्यन्य शीतिरेवमत्र च । । सहस्राणि नवार्चानां, चत्यारिंशाष्टशत्यपि ॥२६२॥
मनुष्य क्षेत्र के बाहर मानुषोत्तर पर्वत पर चार जिनालय है नंदीश्वर द्वीप में अड़सठ (६८) जिनालय है, रूचक द्वीप में चार जिनालय है और कुंडल द्वीप में