________________
(१५३)
एवंद्वि सप्ततिर्लक्षा, अशीतिश्चसहस्रकाः । भवंति मनुज क्षेत्रे, नद्योऽन्यस्मिन् मते पुनः ॥२२७॥ . एकोननवतिर्लक्षाः सहस्रा षष्टिरेव च ।
एतच्चान्तरापगानां, पृथक् तन्त्र विवक्षया ॥२२८॥
भरतादि क्षेत्र में रही महानदियां सत्तर है । महाविदेह क्षेत्र के विजय में नदियां तीन सौ बीस है और आन्तर नदियां साठ है। इस तरह विभाग करते सर्व मिलाकर चार सौ पचास मुख्य नदियां है । वह इस तरह ८५ गंगा नदी, ८५ सिंधुनदी ८५ रक्तानदी और ८५ रक्तावती नदियां है । तथा पांच शीता नदी, पांच शीतोदा नदी पांच रूप्कूला नदी, पांच स्वर्णकूला नदी, पांच नरकान्ता नदी, पांच नारीकान्ता नदी, पांच रोहिता नदी; पांच रोहितांशा नदी, पांच हरिकान्ता नदी, पांच हरिसलिला नदी और बाह्य अन्तर नदियां भी पांच-पांच है (१२४५ = ६० अन्तर नदी है) इस प्रकार कुल चार सौ पचास मुख्य नदियां होती है और इन नदियों के परिवार की जितनी नदियां पूर्व में कह गये है उसके अनुसार जानना । इस तरह से इस मनुष्य क्षेत्र में मुख्य नदियां और उस परिवार की नदियां कुल संख्या एक मतानुसार बहत्तर लाख, अस्सी हजार (७२८००००) होती है, जबकि भिन्न शास्त्र
की विवक्षा से तो एक मतानुसार से आन्तर नदियों के परिवार की नदियों की संख्या नवासी लाख साठ हजार (८६६००००) होती है । (२२२-२२८)
"इदं च नदी सर्वागं जम्बू द्वीपगतमहानदीतुल्य परिवाराणां धातकी खण्ड पुष्करार्द्धगत महानदीनां संभावन योक्तं,धातकी खण्ड पुष्कराईयोर्महा नदीनां परिवारे जम्बू द्वीपवति महानदी परिवारापेक्षया द्वै गुण्यादि विशेषस्तु बृहत्क्षेत्र विचारादिषु क्वापि न दृष्ट इति नोक्त इति ज्ञेयं ॥" ___ "जम्बू द्वीप में महानदियों के परिवार के समान ही धातकी खंड और पुष्कराध की महानदियों का परिवार होगा ? इस तरह संभावना कल्पना (अनुमान) करके नदियों की यह कुल संख्या कही है । क्योंकि धातकी खंड
और पुष्करार्ध क्षेत्र में रही महानदियों का परिवार जम्बूद्वीप में रही महानदियों के परिवार से दो गुणा है ऐसा वृहत्क्षेत्र विचार आदि किसी भी ग्रन्थ साहित्य में नही कहा है. इससे यह नहीं कहा ऐसा जानना ।"