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________________ (१३६) इस नीलवंत पर्वत के केसरी सरोवर में से शीता और नारीकान्ता नाम की दो नदियां निकलती है, उसमें से शीता नदी विदेह क्षेत्र में जाती है और नारी कान्ता रम्यक् क्षेत्र मेंजाती है । (१३१) एषु क्षेत्रषु पूर्वार्द्धान्नद्यो याः पूर्व संमुखाः । ता मानुषोत्तरं यान्ति, कालोदं पश्चिमामुखाः ॥१३२॥ पश्चिमार्द्धात्तु कालोद, प्रयान्ति पूर्व संमुखाः । .. पश्चिमाभिमुखास्तास्तु, प्रयान्ति मानुषोत्तरम् ॥१३३॥ पूर्वार्ध के इन सब क्षेत्रों में भी पूर्वमुखी जितनी नदियां है वे सभी नदियां मानुषोत्तर पर्वत की तरफ जाती है और पश्चिम मुखी जितनी नदियां है वे सभी नदियां कालोदधि समुद्र में जाती है । पश्चिमार्ध में इससे विपरीत समझना अर्थात् वहां की पूर्व मुखी सारी सरिताएं कालोदधि समुद्र में मिलती है और पश्चिममुखी सभी नदियां मानुषोत्तर पर्वत में जाकर विलय हो जाती है। (१३२-१३३) . मध्ये क्षेत्रं विदेहाख्यं, नीलवन्निषधा गयोः । एकैकं मेरूणोपेतं, भाति पूर्वापरार्द्धयोः ॥१३४॥ पर्वार्ध और पश्चिमार्ध में नीलवान और निषध पर्वत के मध्य में एक-एक विदेह क्षेत्र आया है और वहां एक-एक मेरूपर्वत शोभता है । (१३४) अष्टचत्वारिंशदंशान, लक्षाः षड़ विंशतिं मुखे । योजनान्येकषष्टिं सहस्रान् साष्टशतं ततम् ॥१३५॥ इस महाविदेह क्षेत्र का मुख्य विस्तार छब्बीस लाख इकसठ हजार एक सौ आठ योजन अड़तालीस अंश (२६, ६१, १०८ +४८/२१२) का है । (१३५) तथा लक्षाश्चतुस्रिंशद्योजनानां समन्विताः । चतुर्विंशत्या सहस्ररष्टाविशं शताष्टकम् ॥१३६॥ षोडशांशांश्च विस्तीर्ण मध्ये तस्य च विस्तृतिः । लक्षाण्यथैक चत्वारिंशदष्टाशीतिरेव च ॥१३७॥ .. गयाः ।
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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