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(६२) जम्बू द्वीपे तु हृदानी, सहस्त्रायाम भावतः । न किन्चित्कान्चनाद्रीणां, व्यवधानं परस्परम ॥१६॥
जम्बू द्वीप के सरोवर की चौड़ाई एक हजार योजन की होने से कंचन गिरि का परस्पर अन्तर कुछ भी रहता नहीं है । (१६८)
यमकाद्रिहृदायामवर्जितात्सप्तमिर्ह तात् । लभ्यन्ते कुरु विष्कम्भात्सप्तान्त राणि तानि च ॥१६६॥ यमकाद्योनीलवतस्ताभ्यामाद्यहस्य च । . क्रमाच्चतुर्णो हृदनां क्षेत्रान्तस्यान्तिमहदात् ॥२०॥ सहस्राः पन्च पंचाश द्योजनानां शत् द्वयम् । . एक सप्तत्याऽधिकं तद्भवेदेकै कमन्तरम् ॥२०१॥
कुरु क्षेत्र की चौडाई में से यमक पर्वतों का और पांच सरोवरों का विस्तार छोड कर जो संख्या आती है उसे सात से भाग देने पर ७ सात अंतर आता है । वे सात अन्तर इस प्रकार से है । १- नीलवंत पर्वत से यमक पर्वत, २- यमक पर्वत से पहला सरोवर, ३- प्रथम सरोवर से दूसरा सरोवर, ४- दूसरे सरोवर से तीसरा सरोवर, ५- तीसरे सरोवर से चौथा सरोवर, ६- चौथे सरोवर से पांचवा सरोवर और ७- अन्तिम सरोवर से क्षेत्रांत (गजदंत वक्षस्कार पर्वत) ये सात अन्तर होते है और प्रत्येक अन्तर में पचपन हजार दो सौ इकहत्तर. (५५२७१) योजन होता है । (१६६-२०१) वह इस प्रकार है :
कुरुक्षेत्र की चौड़ाई ३६७८६७ योजन है पांच सरोवर और यमक का विस्तार ११,००० योजन निकाल. देना । ३८६८६७ शेष को सात से ७ से भाग देना ७)३८६८६७(५५२७१
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