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शेषा सर्वापि व्यवस्था, पट खण्ड भवनादिका।
जम्बू द्वीप भरतवद्, ज्ञेयाऽत्राप्य विशेषिता ॥६६॥ • शेष छः खंड भवन आदि की सारी व्यवस्था जम्बूद्वीप के भरत के समान यहां भी एक समान जानना । (६६)
तथाऽत्र भरतादीनां तैर्जम्बूद्वीपगैः सह । द्रव्य क्षेत्र काल भाव पर्यायाः स्युः समाः क्रमात् ॥६७॥
तथा यहां के भरत आदि क्षेत्रों के द्रव्य क्षेत्र, काल और भाव के सभी ही पर्यायों (परिस्थिति) को क्रमशः जम्बू द्वीप के उस-उस क्षेत्रों के समान ही जानना चाहिए । (६७)
परोऽस्माद् हिमवानद्रिः, पन्चाढयानेक विंशतिम् ।
शतांस्ततो लवान् विंद्वाशति चतुरशीतिजान् ॥६८॥ - इस भरत क्षेत्र के बाद हिमवान पर्वत आता है जो इक्कीस सो पांच योजन तथा बाईस-चौरासी है (२१०५ २२/८४ योजन) । (६८) ___ "ननु जम्बू द्वीप हिमवतो माने द्विगुणिते सति यथोक्ता योजनोपरि एकोनविंशतिजाः पन्च भागा भवन्ति, अत्र च चतुर शीति जा द्वाविंशति रूक्तास्ततः कथमस्य ततो द्वै गुण्यं न व्याहन्यते ? अत्रोच्यते-एषां भागानां द्वौविध्येऽपि.विशेषः कोऽपि नास्ति, यतो यावदेकोन विंशति जैः पच्चभि
आँगैर्भवति तावदेवचतुरशीतिजैविंशत्यापि भवति,उभयत्रापिकिन्चिदधि ‘कयोजन चतुर्थ भाग स्यैव जायमान त्वादिति एवम ग्रेऽपि भाव्यं ।" .... यहां शंका करते हैं - जम्बू द्वीप के हिमवान के प्रमाण को दो गुणा करने से यथोक्त योजन पर ५/१६ अंश आता है जबकि यहां २२/८४ अंश कहा है तो यहां के हिमवान के प्रमाण में जम्बूद्वीप के हिमवान से दो गुणा कहलाता है उसमें बाधक नहीं होता ?
इस शंका का समाधान करते है - इन दोनों प्रकार के अन्दर विशेष कुछ भी नहीं है क्योंकि ५/१६ अंश द्वारा जितना प्रमाण होता है उतना ही प्रमाण २२/८४ · अंश द्वारा होता है । दोनों ही स्थान पर कुछ अधिक योजन के चतुर्थ भाग जितना