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इस प्रकार से इस लवण समुद्र में चार सूर्य, चार चन्द्रमा, एक सौ बारह नक्षत्र, तीन सौ बावन ग्रह है और तारा की गिनती आम्नाय परम्परा अनुसार कहते है - वह इसके अनुसार है - दो लाख सड़सठ हजार नौ सौ (२६७६००) कोटा कोटी तारा की संख्या तत्वज्ञ पुरुषों ने कही है । (२६१-२६३) .
अत्रायमाम्नायः यत्र द्वीपे समुद्रे वा, प्रमाणं ज्ञातुमिष्यते । ग्रह नक्षत्र ताराणां तत्रत्य चन्द्रसङ्खयया ॥२६४॥ एकस्य राशिनो गुण्यो, वक्ष्यमाणाः परिच्छदः । एवं ग्रहोडुताराणां, मानं सर्वत्र लभ्यते ॥२६५॥
यहां परम्परा इस तरह से है - जिस किसी द्वीप अथवा समुद्र में ग्रह नक्षत्र तारा की संख्या जाननी हो उस द्वीप या समुद्र सम्बन्धी चन्द्र की संख्या से एक चन्द्र का कहलाता परिवार गिनना । उसके अनुसार करने से ग्रह, नक्षत्र और तारा का मान सर्वत्र मिल सकता है । (२६४-२६५)
एक शशि परिवारश्चायम् - . अष्टाशीतिर्ग्रहा ऋक्षाण्यष्टाविंशतिरेव च ।
शराश्वाङ्करसरसास्ताराणां कोटिकोटयः ॥२६६॥ • एक चन्द्र का परिवार इस तरह कहा है :- अठासी ग्रह (८८) अट्ठाईस नक्षत्र (२८) और छियासठ हजार नौ सौ पचहत्तर (६६६७५) कोटा कोटी तारा समुदाय होता है। (२६६) .. लवणाब्धौ च कालोदे, स्वयम्भूरमणेऽपि च ।
भूयस्यो मत्स्यमकर कूर्माद्या मत्स्यजातयः ॥२६७॥
लवण समुद्र के अन्दर कालोदधि समुद्र में और स्वयं रमण समुद्र में बहुत मत्यस्य, मगरमच्छ, और कछुआ आदि जलचर जीव अनेक जाति के होते है । (२६७)
तत्रास्मिल्लवणाम्भोधावुत्सेधाङगुलमानतः । योजनानां पन्च शतान्युत्कृष्ट मत्स्यभूधनम् ॥२६८।।