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________________ (४७) जम्बू द्वीप का एक सूर्य जब मेरू पर्वत की दक्षिण दिशा में भ्रमण करता है, तब वह जम्बू द्वीप के सूर्य की समश्रेणि में रहे समुद्र दो-दो सूर्य की मेरू पर्वत के दक्षिण में ही भ्रमण करते हैं उसमें एक शिखा के पूर्व भाग में सूर्य और एक शिखा के पश्चिम भाग में गाड़ी के जुए में जोडे हुए दो बैलों के समान ये दोनों सूर्य इसी तरह अविरति रूप भ्रमण करते हैं । (२४४-२४६) एवमुत्तरतो मेरोर्यो जम्बूद्वीपगो रविः । द्वौ पुनस्तत्समश्रेण्या, चरतोऽर्काविहाम्बुधौ ॥२४७॥ इस प्रकार जम्बूद्वीप का सूर्य जब मेरू पर्वत से उत्तर दिशा में भ्रमण करता है तब उसकी समश्रेणि में रहे समुद्र के दो सूर्य भी उत्तर में भ्रमण करते हैं । (२४७) ..तदा च चरतोर्जम्बूद्वीपे पीयूषरोचिषोः । मेरोः प्राच्या प्रतीच्यां च, समश्रेण्याऽम्बुधावपि ॥२४८॥ द्रौ द्वौ शाशाङ्कौ चरतः, पूर्व पश्चिमयोर्दिशोः । अर्वाक् शिखाया एकैक, एकैकः परतोऽपि च ॥२४६॥ • तथा जम्बू द्वीप में भ्रमण करने वाले दो चन्द्र मेरू पर्वत से पूर्व पश्चिम में . जब भ्रमण करते हैं उस समय समश्रेणि में रहे समुद्र के दो-दो चन्द्र भी मेरू पर्वत के पूर्व और पश्चिम दिशा में ही भ्रमण करते हैं । उसमें एक चन्द्र शिखा के पहले और दूसरा शिखा के बाद में भ्रमण करता है । (२४८-२४६) एवं रवीन्द्रवो येऽग्रे सन्ति मोत्तरावधि । ... जम्बूद्वीप चंद्र, सूर्य समश्रेण्यिा चरन्ति ते ॥२५०॥ . इसी तरह आगे भी मानुषोत्तर पर्वत तक जितने सूर्य और चन्द्र हैं, वे सब जम्बूद्वीप के सूर्य और चन्द्र की समश्रेणि में भ्रमण करते हैं । (२५०) यथोत्तरं यदधिकाधिक क्षेत्राक्रमेऽपि ते । पर्याप्नुवन्ति सह तद्गत्याधिक्यात् यथोत्तरम् ॥२५१॥ आगे से आगे क्षेत्र का विस्तार अधिक से अधिक होने पर भी आगे के सूर्य चन्द्र उत्तरोत्तर अधिक गति के योग से साथ में गति करते हैं । (२५१) . अवा
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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