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क्र० विषय
सं०
१४७ उसका पर्वत ऊपर विचरण योजन - मान तथा वर्णन १४८ सरोवर से कुंड़ तक उसकी
-
(xxxiv)
श्लोक
मान
१५६ अन्य दाढ़ाओं के विषय में
सं०
मान
१५६ एक दाढ़ा ऊपर पाँचवें द्वीप का मान
१५७ एक दाढ़ा ऊपर छठे द्वीप का मान १५८ एक दाढ़ा ऊपर सातवें द्वीप का
हैमवंत क्षेत्र
१४६ उसके किनारों की लम्बाई-चौड़ाई२७८ १५० कुंड़ की लम्बाई-चौड़ाई का मान २८० १५१ दाढ़ाओं का वर्णन
१६५ हैमवंत क्षेत्र का स्थान- आकार २७४ १६६ हैमवंत नाम की सार्थकता १६७ इस क्षेत्रों के 'विष्कंभ' का मान १६८ इस क्षेत्रों के 'शर' का मान १६६ इस क्षेत्रों के 'जया' का मान १७० इस क्षेत्रों के 'घनु पृष्ठ' का मान ३३२ २८३ १७१ इस क्षेत्रों के 'बाहा' का मान
३३१
२८१
१५२ एक दाढ़ा ऊपर प्रथम द्वीप का मान
१५३. एक दाढ़ा ऊपर दूसरे द्वीप का
मान
१५४ एक दाढ़ा ऊपर तीसरे द्वीप का मान
१५५ एक दाढ़ा ऊपर चौथें द्वीप का
२६८
"
१७२ इस क्षेत्रों के क्षेत्रफल का मान २८८ १७३ वृत वैताढ्य का स्थान तथा
३०१
आकार
२६४ १७४ शब्दापाती वृतवैताढ्य का मान १७५ उसके आस पास के विस्तार का २६७ मान व वर्णन
१७६ उसके स्वामी देवों के नामआयुष्य व राजधानी
१७७ इस क्षेत्र की नदियों की संख्या १७८ उनकी भूमि व कूल आदि की
३०४
३०८
३११
समन्वय
१६० अग्नि कोण की दाढ़ा के द्वीपों के ३१४
क्र०
सं०
नाम
१६१ नैऋत्य कोण की दाढ़ा के द्वीपों ३१६ के नाम
१६२ वायव्य कोण की दाढ़ा के द्वीपों ३१७
विषय
का नाम
१६३ इन द्वीपों में रहने वाले मनुष्यों का शरीर मान व आयुष्य १६४ उनकी पाँसली, आहार-युगलिक ३२२
धर्म
३२०
श्लोक
सं०
महत्ता.
१७६ उनकी निर्मलता
१८० वहाँ पर अहिंसक भाव
३२६
३२६
३२८
३२६
३३०
३३३
३३४
३३६
३३७
३३६
३४०
३४४
३४४
३४५
३४६
३४७
१८१ वहाँ युगलिकों के शरीरमानआयुष्य स्थिति
१८२ उनकी आकृति - पाँसली तथा
युगलिक धर्म
निर्ममत्व का कारण
१८३ १८४ संघयण तथा गति
महाहिमवान पर्वत
३५४
१६० महाहिमवान पर्वत का मान १६१ इसका 'विष्कंभ' तथा 'शर' मान ३५५ १६२ इसकी 'जया'
३५७
३४८
३४६
३५१