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सं०
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क्र० विषय
श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं० । सं०
सं० ११६ सातवीं "मावती"नरक २८३ | १४० नारकों का सहायक कौन होता है ३२४ पृथ्वी का वर्णन
१४१ सर्ग चौदह समाप्ति १२० उसमें वलय के विष्कंभ २८४
पन्द्रहवाँ सर्ग १२१ अलोक का अन्तर
१ देव गुरू की स्तुति,मंगलाचरण १ १२२ उनकी ऊँचाई, प्रतर तथा नर
२ द्वीप समूहों का संख्या प्रमाण ५ केन्द्रों के नाम
३ जम्बू द्वीप से क्रमशः नंदीश्वर १२३ उसमें पंक्तिंगत चार दिशा के २६०
समुद्र तक नाम . चार नरकावासों के नाम
४ अरूण आदि २१ द्वीपों के नाम १३ १२४ यहाँ की वेदना तथा उसकी २६२
५ असंख्य द्वीपों- समुद्रों के नामों - १८ ... तारतम्यता
की योजना १२५ उसमें देहमान तथा वैक्रियदेहमान २६३
६ अंत के आठ द्वीपों-समुद्रों के नाम २५ १२६ उसमें आयुष्य स्थिति - २६४
७ हर एक का विस्तार पूर्वक विवरण २७ १२७ उसमें च्यवन उत्पत्ति का अन्तर २६५|
८ जम्बू द्वीप का आकार-स्थान २६ १२८ उसमें अवधि ज्ञान के क्षेत्र २६६
६ जम्बू द्वीप नाम किस तरह पड़ा . ३० १२६ किसे संहनन वाला, किस जीव २६७ . ने यहाँ आना है इस विषय में
१० उसकी लम्बाई-चौड़ाई तथा .
विष्कंभ १३० उसमें ज्ञान-अज्ञान में मतान्तर . १३१ चक्रवर्ती हुए, उनमें कई नरक
११ इसमें गणित पद ...में से आये
१२ उसकी ऊँचाई तथा नीचाई १३२ बलदेव-वासुदेव हुए, उनमें से
१३ इस विषय में शंका समाधान
१४ जम्बू द्वीप की रचना कैसी है ४६ . कई नरक में से आये . १३३ केवल ज्ञान वाले कई नरक में
१५ उसके द्रव्य-पर्याय की आलोचना ४७ से आये
१६ जम्बू द्वीप की जगती का वर्णन ४८ १३४ - चरित्र वाले कई नरक में से आये ३११
१७ जगती का आकार तथा व्यास ४६ १३५ लब्धि वाले कई नरक में से आये
१८ जगती के ऊपर वेदिका के वर्णन ५५ १३६ तीर्थकर हुए, उनमें से कई नरक ३१३
१६ वेदिका के बगीचों का वर्णन ६३ ... में से आये
२० बगिचियों की पुष्करणियों का वर्णन ७२ १३७ बाकी के जीवों गति . ३१५/ २१ बगिचियों के क्रीड़ा पर्वतों का वर्णन७७ .. १३८ मुख्य नरकायुष्य बाँधने वाले ३१७/ २२ उसमें महलों का वर्णन ७८ कारण
२३ उसमें रहे आसनों का वर्णन ७६ . १३६ नारकों को शान्ति का सुख कब ३२०/ २४ बगीची के के क्रीड़ा गृहों का वर्णन ८० _ होता है
२५ क्रीड़ा गृहों के मंडपों का वर्णन ८४