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गौ का दूध शुद्ध और गोमांस नितान्त अशुद्ध हैं। सांप की मणि से विष दूर होता है पर सांप का विष मृत्यु का कारण है (३०४)। मांसाहार तामसिकता को भी जन्म देता है। इसी प्रसंग में सोमदेव ने त्रिकोटिपरिशुद्ध मांस भक्षण का भी सटीक खण्डन किया है यह कहकर कि उसमें मूलत: हिंसा तो होती ही है और उसकी अप्रत्यक्ष जिम्मेदारी मांसाहारी पर भी आती है।
इसी तरह सोमदेव ने वैदिक हिंसक यज्ञ के दौरान किये जाने वाले मांस भक्षण का सटीक खण्डन किया है यह कहकर कि जो स्वभावत: अशुद्ध है वह मन्त्रादिक से शुद्ध कैसे किया जा सकता है? संसार में सब तो कुछ अभक्ष्य रहेगा ही नहीं। शौरसेन राजा मात्र मांसभक्षण के संकल्प के कारण सातवें नरक में गया (३११) और चण्ड नामक चाण्डाल मांस त्याग से यक्ष हुआ (पद्य ३१३)।
मांस भक्षण के विरोध में जैनाचार्यों ने प्रारम्भ से ही तीव्र आन्दोलन छेड़ रखा था। पुरुषार्थ सिद्ध्युपाय, धर्म परीक्षा, यशोधरचरित, वसुनन्दि श्रावकाचार आदि ग्रन्थों में उसे विष्टा के समान दुर्गन्धित और दर्प, छूत, मद्य आदि की ओर प्रवृत्त कराने वाला तामसिक तत्त्व माना है जिसमें करुणा और संवेदना का पवित्र जल सूख जाता है। इसीलिए जैनाचार्यों ने विशुद्ध शाकाहार को उत्तम भोजन माना हैं वहाँ अभक्ष्य पदार्थों की एक लम्बी सूची दी गई है उमास्वामी श्रावकाचार में (३०७-३३०)।
शाकाहारं जीवन को सख और समृद्ध बनाने की एक विशिष्ट जीवन पद्धति है, अहिंसा की परिपालना है। पानी छानकर पीना, रात्रि भोजन न करना, सप्त व्यसनों से दूर रहना आदि जैसे तत्त्व उसकी परिधि में आते हैं। . वस्तुत: मनुष्य की शारीरिक रचना मांस भक्षण के प्रतिकूल हैं उसके नख, दन्त, जीभ, फेफड़े, आंत आदि मांस भक्षी पशुओं से बिलकुल भिन्न होते हैं। मनुष्य का प्राकृतिक आहार शाकाहार ही है। मांसाहार से तो वह कैंसर, मिर्गी, चर्मरोग, अल्सर आदि अनेक घातक बीमारियों को आमन्त्रित कर लेता है। जिन पशु-पक्षियों का वह मांस खाता है उनकी सारी बीमारियां उसके खून में पहुंच जाती हैं। थोड़े से रसास्वादन के लिए वह अपना पेट कचड़ा घर बना लेता है।
अण्डा भी मांस का ही एक रूप हैं उसे शाकाहार में किसी भी हालत में नहीं गिना जा सकता है। वह निर्जीव होता ही नहीं है। क्या किसी ने उसे पेड़ पर उगा हुआ देखा है? क्या उसे शाक-सब्जी की तरह खेतों में उगाया जा सकता है? ___अण्डा, मछली आदि का भक्षण स्वास्थ्य की दृष्टि से तो हानिकारक है ही, आर्थिक दृष्टि से भी नुकसान दायक है। सर्वेक्षण से बताया गया है कि शाकाहारी की अपेक्षा मांसाहार आठगुना मंहगा होता हैं प्रोटीन का बहाना करना भी गलत है। मांसाहार में कॉलेस्ट्राल अधिक होता है और सालमोनेला जैसे घातक कीटाणुओं की अधिकता होती