SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 319
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विसुनन्दि-श्रावकाचार (२०३) आचार्य वसुनन्दि स्व-स्त्री के अलावा जितनी भी स्त्रियाँ हैं, वे सब पर है। उनके भी दो भेद हैं। जो दूसरे के द्वारा विवाहित है, वह परिगृहीता स्त्री है तथा जो अनाथ, स्व-छन्द अथवा अविवाहित है, वह अपरिगृहीता है। पर-स्त्री का पूर्ण त्याग करना आध्यात्मिक और लौकिक दोनों दृष्टियों से उचित है। ___ एक कवि लिखता है - पर नारी पैनी छुरी तीन ठौर से खाय। . धन खर्चे यौवन हरे, मरे नरक ले जाय।। आ० अमृतचन्द्र जी का उपदेश है कि - ये निजकलत्रमात्रं परिहर्तुं शक्नुवन्ति न हि मोहात् । निःशेष शेषयोषिनिषेवणं तैरपि न कार्यम् ।। (पुरुषार्थ सिद्धयुपाय, ११०) अर्थ- जो जीव मोह के उदय से अपनी स्त्री मात्र को छोड़ने के लिए समर्थक नहीं है, तो उन्हें भी शेष समस्त स्त्रियों का सेवन नहीं करना चाहिए। कामदेव बहुत बलिष्ट है। उसने समस्त जगत् को आक्रान्त कर रखा है। अत: तप-त्याग के शस्त्रों के द्वारा उस पर पूर्ण विजय प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिये, यदि उसमें स्वयं को असमर्थ देखे तो विधिपूर्वक स्व-दार सन्तोषव्रत गुरु चरणों में ग्रहण करना सद्गृहस्थ का कर्तव्य है। : जो पर-स्त्री का त्याग कर देता है व अध्यात्म पथ की ओर बढ़ने हेतु सतत् प्रयत्न करता है, ऐसा भव्य जीव लौकिक एवं पारलौकिक सुख पाता है। . : वीर्य शरीर का ओज है। उसकी सुरक्षा शरीर की शान्ति, कान्ति और स्फूर्ति को कायम रखती है। मन को स्थिर करने में मदद करती है, बुद्धि का वर्धन करती है। यह सब लौकिक सुखों की प्राप्ति है। ब्रह्मचर्य से संयम निर्दोष पलता है, आत्मसाधना निर्विघ्न होती है, जिससे कर्मों का नाश होकर मोक्ष प्राप्त होता है, यह पारलौकिक सुख है। यदि गृहस्थ पर-स्त्री को माता-पुत्री अथवा भगिनी आदि रूप मानता है, तो कामदेव होता है और शीघ्र मोक्ष प्राप्त करता है। श्री पद्मनन्दि भट्टारक लिखते हैं कि - शोचिः केश शिखेव दाह जननी, नीचप्रियेवापगा। प्रोद्यध्दूमततीव कालिमचिता शम्पेव भीतिप्रदा ।।
SR No.002269
Book TitleVasnunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilsagar, Bhagchandra Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages466
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy