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________________ वसुनन्दि-श्रावकाचार (१७१) आचार्य वसुनन्दि की चार लाख योनियों में असंख्यात काल तक परिभ्रमण करता रहता है अर्थात् उन्हीं योनियों में बार-बार घूमता रहता है। - खिल्लविल्ल योग- भाड़ में भूनते हए धान्य में से दैववशात जैसे कोई एक दाना उछलकर बाहर आ पड़ता है उसी प्रकार दैववशात् एकेन्द्रिय-विकलेन्द्रियों में से कोई एक जीव निकलकर पञ्चेन्द्रियों में उत्पन्न हो जाता है, तब उसे खिल्लविल्ल योग से उत्पन्न होना कहते हैं। तिर्यञ्चों के दुःखों का वर्णन छेयण-भेयण-ताडण-तासण-णिल्लंछणं तहा दमणं। णिक्खलण-मलण-दलणं पउलण उक्कत्तणं चेव।। १८०।। बंधण-भारारोवण लंछण पाणण्णरोहणं सहणं । सीउण्ह- भुक्ख-तण्हादिजाण तह पिल्लयविओयं ।।१८१।। अन्वयार्थ- (तिर्यंच योनि में), (छेयण) छेदन, (भेयण) भेदन, (ताडण) ताड़न, (तासण) त्रासन, (णिल्लंछणं) निलांछन, (तहा) तथा, (दमणं) दमन, (णिक्खलण) निक्खलन (नाक छेदन), (मलण) मलन, (दलण) दलन, (पउलण) प्रज्वलन, (उक्कत्तणं) उत्कर्तन, (बंधण) बंधन, (भारारोवणं) भारारोपण, (लंछण) लांछन, (पाणण्णरोहणं) अन्न-पान निरोध, (च) और, (सीउण्हं) शीत-उष्ण, (भुक्ख तण्हादिजाण) भूख-प्यास आदि से उत्पन्न, (तह) तथा, : (पिल्लयविओयं) पिल्लों के वियोग जनित दुःख को भोगता है। अर्थ- तिर्यंच गति में छेदन, भेदन, ताड़न, त्रासन, निन्छन, दमन, नाक-छेदन, प्रज्वलन, उत्कर्तन, बंधन, भारारोपण, लांछन, अन्नपान निरोध और शीत-ऊष्ण, भूख-प्यास तथा बच्चों के वियोग आदि से उत्पन्न दुःखों को व्यसनी जीव प्राप्त करता है। ___ व्याख्या- इस जीव को तिर्यञ्च गति में विभिन्न प्रकार के भयङ्कर दुःख सहन करने पड़ते हैं, उन्हीं को कुछ स्पष्ट करते हैं छेदन-अंग का अपनयन करना छेद है। भेदन- अंग के आर-पार छेद कर देना भेदन है। ताड़न- डण्डों आदि से पीटना। त्रासन- पटक कर, धकेल कर, खींचकर, घसीट कर कष्ट देना। निलांछन- बधिया करना अर्थात् लिंग के ऊपरी हिस्से वाली नश तोड़ देना। दमन- धमकाना, जबर्दस्ती भूसा-अनाज खाते हुए रोकना। निक्खलननाक, कान, पूंछ आदि अंगों में छेद करना। मलन- छोटे-छोटे जीवों को मसल देना, १. यह दोनों गाथाएँ मूलाराधना में क्रमांक १५८२-८३ पर हैं।
SR No.002269
Book TitleVasnunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilsagar, Bhagchandra Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages466
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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