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(वसुनन्दि-श्रावकाचार.
(१०३)
आचार्य वसुनन्दि)
मुसलमान मारे करद, हिन्दू मारे तलवार।
कह कबीर दोनों मिली, जाये जम के द्वार ।। मुसलमान करद (चाकू से गला काटना) करता है, हिन्दू तलवार से काटता है, कबीर कहते हैं कि मुसलमान और हिन्दू दोनों मिलकर यम के द्वार पर जायेंगे।
मांसाहारी मानवा, परतछ राक्षस अंग।
तिनकी संगति मत करो, परत भजन में भंग ।। जो मांस खाता है वह प्रत्यक्ष राक्षस है उसकी संगति मत करो, क्योंकि उससे भजन कीर्तन में, प्रभु नाम गाने में, धर्म कार्य में विपत्ति आती है।
है भला तेरा इसी में, मांस खाना छोड़ दें।
इस मुबारक पेट में, कबरें बनाना छोड़ दें।। इसमें तेरा भला है कि तू मांस खाना छोड़ दें। मांस खाने से तेरा पवित्र पेट कब्र खाना बन जाता है। तू नहीं खायेगा तो तेरा पेट कबर खाना नहीं बनेगा।
जो शिर काटे और का, अपना रहे कटाय। . धीरे धीरे नानका, बदला कही न जाय।।
जो दूसरे का शिर काटता है उसका शिर एक न एक दिन अवश्य कट जाता है। सिक्ख के आदि गुरु नानकदेव कहते हैं कि बदला कभी चूकता नहीं है।
जो रत्त जगे कापडे, जामा होवे पलीत।
जे रत्त पीवे मानुषा, तिन क्यों निर्मल चित्त।। कपड़ा में रक्त लगने पर कपड़ा अपवित्र हो जाता है और जो मनुष्य रक्त पीता है, मांस खाता है उसका मन कैसे पवित्र हो सकता है?
Thou Shalt not kill. तुम कोई भी प्राणी को मत मारो। (ईसा मसीह) 'हिंसा प्रसूतानि सर्व दुःखानि।' हिंसा सम्पूर्ण दुःखों को जन्म देती है। Animal food for those
who will fight and die; And vegetable food fot those
who will live and think." मांस-आहार उनके लिये है जो लड़ेंगे एवं मरेंगे। शाकाहार उनके लिये हैं जो जीवित रहेंगे एवं चिन्तन करेंगे।