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________________ वसुनन्दि-श्रावकाचार (९०) आचार्य वसुनन्दि) जैसा हो जाता है तब उसे बेसुध अवस्था में देखकर दूसरे लोगों के द्वारा, चोरों के द्वारा उसके पास जो धन होता है वह अपहरण कर लिया जाता है। पुनः जब वह कुछ सुध में आता है, चेतना को प्राप्त होता है तो अपने धन को अपने पास न पाकर गिरता-उठता इधर-उधर दौड़ लगाता है।।७३।। जेणज्ज मज्झ दव्वं गहियं दुद्वेण से जमो कुद्धो। कहिं जाइ सो जिवंतो सीसं छिंदामि खग्गेण ।।७४।। . अन्वयार्थ– (जेणज्ज मज्झ दव्यं गहियं) जिसने मेरा द्रव्य ग्रहण किया है (से) उस, (दुगुण) दुष्ट ने, (जमो कुद्धो) यम को कुद्ध किया है, (सो जिवंतो) वह जीता हुआ, (कहिं जाइ) कहा जाता है (देखता हूँ)?, (खग्मेण) तलवार से, (सीसं छिंदामि) शिर छेदूंगा।।७४।। भावार्थ- जब अन्य चोर बगैरह उस शराबी का धन लेकर भाग जाते हैं, तब वह होश में आने पर इधर-उधर दौड़ता हुआ चिल्लाता है- “जिस दुष्ट ने, बदमाश ने मेरा द्रव्य चुराया है उसने मुझे नहीं साक्षात् यमराज को क्रोधित किया है; देखता हूँ वह जीता हुआ बचकर कहाँ जाता है। तलवार से उसका शिरच्छेद करूँगा, गर्दन काट कर मार डालूंगा।।७४।। एवं सो गज्जंतो कुवियो गंतूण मंदिरं णिययं । घित्तूण लउडि सहसा रुट्ठो भंडाइं फोडेइ ।।७५।। अन्वयार्थ- (एवं सो) इस प्रकार वह, (कुवियो) कुपित होकर, (गज्जंतो) गरजता हुआ, (णिययं मंदिर गंतूण) अपने घर जाकर, (लउडि चित्तूण) लकड़ी को लेकर, (रुट्ठो) रुष्ट होकर, (सहसा) अचानक, (भंडाइं फोडेइ) बर्तनों को फोड़ने लगता है।।७५।। भावार्थ- इस प्रकार कुपित होकर गरजता हुआ वह शराबी चोर को कहीं न पाकर अपने घर जाता है और क्रोध में तो रहता ही है सो लकड़ी उठाकर रुष्ट होकर सहसा घर के ही बर्तन-भाण्डों को फोड़ने लगता है। चोर को न पीट सका सो बर्तनों को फोड़ने लगा अर्थात् वह इतना बावला हो जाता है कि यह भी नहीं सोच पाता कि पहले ही मेरी चोरी हो गई है और अब मैं बर्तन फोड़ रहा हूँ तो यहभी तो बिना मूल्य के नहीं मिलते है?।।७५।। णिययं पि सुयं बहिणिं अणिच्छमाणं बला विधंसेइ। जंपइ अजंपणिज्जं ण विजाणइ किं पि मयमत्तो।।७६।। अन्वयार्थ– (वह), (णिययं पि सुर्य बहिणिं) अपने पुत्र को बहिन को और
SR No.002269
Book TitleVasnunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilsagar, Bhagchandra Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages466
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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