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वसुनन्दि-श्रावकाचार (६८)
आचार्य वसुनन्दि) ठिदि-यरण-गुण-पउत्तो मागहणयरम्हि वारिसेणो दु। हथणापुरम्हि णयरे वच्छल्लं विण्हुणा रइयं ।। ५४।। उवगृहणगुण जुत्तो जिणयत्तो तामलित्त णयरीए। वज्जकुमारेण कया पहावणा चेव महुराए ।। ५५।।
(चतुष्कं) अन्वयार्थ- (रायगिहे) राजगृह नगर में, (अंजणो णामेण चोरो) अंजन नाम का चोर, (णिस्संको) निःशंक, (भणिओ) कहा गया है। (चंपाए) चम्पानगरी में, (णंतमइ णामा वणिदसुगा) अनन्तमति नाम की वणिक् पुत्री, (णिक्कंखा) निःकांक्ष, (रुहवरणयरे) रूद्दवर नगर में, (उद्दायणु णाम राओ) उद्दायन नाम का राजा, (णिव्विदिगिच्छो) निर्विचिकित्सा, (महुराणयरे) मथुरा नगर में, (रेवड़) रेवती . (रानी), (अमूढ-दिट्ठी) अमूढ़दृष्टि, (मुणेयव्वा) जानना चाहिये। (मागह-णयरम्हि) मागध नगर में, (वारिसेणो दु) वारिषेण राजकुमार, (ठिदि-यरणगुणपउत्तो) स्थितिकरण गुण को प्राप्त हुआ, (हथणापुरम्हि पयरे) हस्तिनापुर नगर में, (विण्हुणा) विष्णु के द्वारा, (वच्छल्लं) वात्सल्य, (रइयं) प्रकट किया गया, (तामलित्तणयरीए) ताम्रलिप्त नगरी में, (जिणयत्तो) जिनदत्त, (उवगृहण-गुण-जुतो) उपगृहनगुण से युक्त हुआ है।, (चेव) और इसी प्रकार, (महुराए) मथुरा नगर में, (वज्जकुमारेण) वज्रकुमार के द्वारा, (पहावणा) प्रभावना अंग, (प्रकट) किया।।५२-५५।। ____ भावार्थ- राजगृह नगर में रहने वाला अंजन नामक चोर निःशंकित अंग में प्रसिद्ध हुआ है। चम्पापुर नगरी में रहने वाली श्रेष्ठीपत्री अनन्तमति निःकांक्षित अंग में प्रसिद्ध हुई है। रूद्रवर नामक नगर में राज्य करने वाला राजा उद्दायन निर्विचिकित्सा अंग में प्रसिद्ध हुआ है। मथुरानगर के महाराज की रानी रेवती अमूढदृष्टि अंग में प्रसिद्ध जानना चाहिये। मागधनगर (राजगृह) के महाराजा श्रेणिक के पुत्र राजकुमार वारिषेण स्थितिकरण गुण को प्राप्त हुए। हस्तिनापुर नगरी में विष्णु कुमार मुनि ने वात्सल्य गुण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। ताम्रलिप्त नगरी के नगर श्रेष्ठी जिनदत्त ने उपगूहन गुण में प्रसिद्धि प्राप्त की और मथुरा नगरी में वज्रकुमार मुनि ने महती धर्म प्रभावना कराकर महान् प्रभावना गुण को प्राप्त किया। इस प्रकार एक-एक अंग में प्रसिद्ध अंगों के नाम सहित आठ व्यक्तियों के नाम, घटनास्थान और अन्य भावों को ग्रन्थकार ने यहाँ प्रस्तुत किया है।।५२-५५।। (१) अञ्जन चोर की कथा
धन्वन्तरि और विश्वलोमा पुण्य कर्म के प्रभाव से अमित पुत्र और विद्युत्प्रभ नाम के देव हुए और एक दूसरे के धर्म की परीक्षा करने के लिए पृथिवीलोक पर आये।