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________________ गुणव्रत वर्णन ११९. दिग्व्रत (गुणव्रत) का लक्षण १२०. देशव्रत (गुणव्रत) का लक्षण १२१. अनर्थदण्ड त्याग (गुणव्रत) का लक्षण शिक्षाव्रत - वर्णन १२२. भोग विरति शिक्षाव्रत का लक्षण १२३. परिभोगनिवृत्ति शिक्षाव्रत का लक्षण १२४. अतिथि संविभाग शिक्षाव्रत का लक्षण १२५. अतिथि संविभाग के पांच अधिकार पात्रभेद - वर्णन १२६. उत्तम-मध्यम-जघन्य पात्र कौन हैं ? १२७. कुपात्र और अपात्र कौन हैं ? दातार-गुण-वर्णन १२८. दाता के सप्तगुण दानविधि-वर्णन नवधा भक्ति का नाम निर्देश (vi) १२९. १३०. नवधा भक्ति की विधि १३१. उपसंहार एवं प्रतिज्ञा दातव्य - वर्णन १३२. दातव्य किसे कहते हैं १३३. आहारदान का लक्षण १३४. दुःखियों को करुणादान १३५. औषधि दान का लक्षण १३६. शास्त्र दान १३७. अभयदान - शिखामणि २१४ २१५ २१६ २१७ २१८ २१९. २२.० .२२१-२२ २२३ २२४ २२५ २२६-३१ २३२ २३३ २३४ २३५ २३६ २३७ २३८ २०७ २०९ २११ २१४ २१५ २१६ २.१७ २१८ .२२० २२१ २२३ २२३-२४ २२६ २२७ २३१ २३४ २३५ २३८ - २३९
SR No.002269
Book TitleVasnunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilsagar, Bhagchandra Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages466
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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