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साहित्य विशारद विद्या भूषण आचार्य देव श्री श्री श्री १००८ श्रीमद्विजय भूपेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज शिष्य मंडल सह विराजमान थे। परम पूज्य उपाध्याय भगवन्त पालीताणा विराजमान थे। वहां से विहार कर अहमदाबाद पधारे। अहमदाबाद निवासी सौधर्म बृहत्तपोगच्छीय श्री त्रिस्तुतिक श्रीसंघ यह दीक्षा सर्व प्रकार से आनन्द उल्हास व उमंग से होवे ऐसा कार्यक्रम बनाकर के कंकु-पत्रिका छपवाकर समस्त समाज को भेजी माघ सुदि ८ से हटीभाई की वाडी में अट्ठाई महोत्सव प्रारंभ किया बालिका लीला बहुत उल्हास उमंग से अहमदाबाद जैसे महानगर में माघ सुद १५ को विशाल जन भेदनी के साथ हाथी पर बैठकर बालिका वर्षिदान दे रही थी।
राजपथ पर हजारों आंख इस बालिका की ओर देखकर उत्साहित हो रहे थे। चल समारोह हठीभाई की वाड़ी में आकर के एकत्रित हो रहा था। चल समारोह धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हो गया, अपार मानव समूह की उपस्थिति में मुख्य द्वार पर परम पूज्य साहित्य विशारद विद्याभूषण आचार्य देव श्रीमद्विजय भूपेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज समीप ही परम पूज्य उपाध्याय श्रीमद् यतीन्द्रविजयजी महाराज विराजमान थे, समीप मुनि मंडल व गुरुजी श्रीमानश्रीजी महाराज की सुशिष्या साध्वीजी श्री भाव श्रीजी, मनोहर श्रीजी म. अपनी साध्वी मण्डल के साथ विराजमान
थी।
मुमुक्षी बालिका लीला हाथी से उतर कर अपने नन्हें हाथों को अंजलीबद्ध कर सभी का अभिवादन अभिनन्दन करती हुई जिन मंदिर में देवाधिदेव वीतराग भगवन्त के दर्शन कर सभा मंडप में आकर परम पूज्य आचार्य भगवन्त व श्रीमद् उपाध्याय