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गुरुणीजी श्री भावश्रीजी अपनी शिष्याओं के साथ व्याख्यान श्रवण कर रही थी। श्री पूज्य उपाध्यायजी महाराज ने बालिका के सिर पर वासक्षेप डाला व मधुर शब्दों में फरमाया कि इस बालिका का भविष्य उज्जवल है और यह आदर्श साध्वी होगी।
- पूज्य उपाध्यायजी महाराज साहब ने व्याख्यान समाप्त कर मांगलिक फरमाया सभी अपने-अपने घर की ओर रवाना हुए सभी के मुँह से एक ही शब्द निकल रहा था कि यह बालिका महान पुण्यवान होगी। इसके माता-पिता ने अपनी पुत्री का भविष्य सुन्दर देखकर भविष्यवाणी पर विश्वास कर श्रमण भगवान महावीर के शासन में प्रवेश दिया।
बालिका का लालन-पालन गुरुणीजी श्री भाव श्रीजी की निश्रा में सुव्यवस्थित रूप से चल रहा था। शरद ऋतु पूर्ण हो रही थी वे हेमन्त ऋतु प्रारंभ हो गई है। चातुर्मास पूर्णता की और अग्रसर हो रहे हैं। परम पूज्य व्याख्यान वाचस्पति महामहोपाध्याय भगवन्त श्री यतीन्द्रविजयजी म.सा. व्याख्यान की व्यासपीठ पर विराजित हो चतुर्विध श्रीसंघ आपके अमृतयदेशना श्रवण करने आतुर हो रही थी कि सहसा गुरुणीजी श्री भावश्रीजी म. ने सर्वप्रथम विधिसह उपाध्याय भगवन्त को वन्दन कर करबद्धं हो प्रार्थना कि गुरुदेव अब आपकी इस लाडली नानी को अध्ययन करवाने का शुभ मुर्हत प्रादन कर कार्यारंभ करना है।
___ परम पूज्य महामहोपाध्यायजी म. ने फरमाया कल ज्ञान पंचमी है, दिन शुद्धि श्रेष्ठ है व चन्द्रबल रवि योगादि ज्ञान उपासना के लिए श्रेष्ठ रहता है, प्रदत्त मुहूत के अनुसार अध्ययन के लिए आवश्यक सामग्री भी आ गई है। एक थाल में कुंकु, चावल श्रीफल