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________________ मंडलादि स्थापन - जावरा (मालवा) में 'श्री राजेन्द्रोदय जैन युवक मंडल संजीत (जावरा) में 'श्री यतीन्द्र जैन पाठशाला' निम्बाहेड़ा (टोंक) में 'श्री यतीन्द्र जैन युवक मंडल' और सियाणा (मारवाड़) में 'श्री राजेन्द्र जैन शिक्षा प्रचारक मंडल' आपके ही उपदेश से स्थापित हुए हैं और वे अच्छी स्थिति में चल रहे हैं। - आप नवीन पुस्तकों को बाँचने के बड़े उत्सुक हैं, चाहे वे संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी या गुजराती भाषा के ही क्यों न हों, एक बार अवश्य उनको आद्योपान्त मनन करते हैं। आपके संस्थापित श्री यतीन्द्र जैन सरस्वती - भण्डार में जैन और जैनेतरों के अनेक ग्रंथों का अच्छा संग्रह शिष्य - संपद - आपके करकमलों से सात महानुभावों को दीक्षा दी गई, परन्तु वर्तमान में उनमें से मुनि वल्लभविजय, मुनि विद्याविजय, मुनि सागरानन्दविजय और मुनि विवेकविजय, ये चार शिष्य विद्यमान (मौजूद) हैं। इनकी बड़ी दीक्षा भी आप ही के करकमलों से शास्त्रीय-विधि अनुसार हुई है। बस अब अंत में इतना और भी लिख कर कि 'आप सत्यवक्ता, निस्पृही, शान्तस्वभावी, परोपकारी, समाज हित चिंतक, साधु धर्म कर्मठ और दीर्घदर्शी हैं। इसलिए आपकी जीवन रेखा जितनी लिखी .जाए, उतनी ही कम है।' यह जीवन-रेखा समाप्त की जाती है। . ॐ शांतिः ! शांतिः !! शांतिः !!! निम्बाहेड़ा (टोंक). सं. १९८३ गुरु सप्तमी श्रावक : कुन्दनमल डांगी सेक्रेटरी : श्री यतीन्द्र जैन युवक मंडल (१७)
SR No.002268
Book TitleGunanurag Kulak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay
Publication Year1997
Total Pages328
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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