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________________ अभ्यास पर दो दृष्टांत अभ्यास शब्द के अर्थ अभ्यास के तीन भेद जैसी सोबत वैसी असर पाश्चात्य विद्वानों का अनुभव सत्सङ्ग का अर्थ सत्समागम पर दृष्टांत सत्समागम की दुर्लभता सत्पुरुषों के लक्षण • सत्सङ्ग की महिमा १०. परदोष से पापकर्म का बन्ध निन्दा निवारणोपदेश सुशिक्षा-वचन स्त्रीशिक्षा की जरूरत राणी सुविद्या का दृष्टांत ११. कवाय रहित मार्ग का आचरण क्रोध और उसका त्याग मान और उसका त्याग माया और उसका त्याग लोभ और उसका त्याग निष्पुण्यक का दृष्टांत . त्याज्य एषणाएँ (नोट) कषायों का त्याग करना 'अनन्तानुबुन्धी आदि चार कषाय कामादि छः आन्तर-शत्रु १२. परदोषवर्जन से गुरुत्व की प्राप्ति ज्ञान और अज्ञान ज्ञान की प्रधानता १३. छः प्रकार के पुरुषों का स्वरूप ग्रन्थान्तर से पुरुषों का स्वरूप
SR No.002268
Book TitleGunanurag Kulak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay
Publication Year1997
Total Pages328
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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