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विषय - निदर्शन
• विषय -
१. श्री यतीन्द्रजीवन-रेखा २. ग्रंथारम्भ और उद्देश्य
मङ्गलाचरणम्
नमस्कार का फल
३. गुणानुराग से पदवियों की प्राप्ति
वैर - परित्याग
मात्सर्य, उसका त्याग
द्वेष, उसका त्याग
कलह और सम्प
मैत्री आदि ४ भावनाएँ
४. गुणानुराग की प्रशंसा
गुणानुरागी को वन्दन
गुणानुराग पर श्रीकृष्ण का उदाहरण
वादत्रिपुटी
५. गुणानुराग का महत्व
द्रव्य जैन के लक्षण
भाव जैन के लक्षण
६. मात्सर्य ही पराभव का हेतु है
भवाभिनन्दियों के लक्षण
मात्सर्य परित्याग
गुरुगम शिक्षा की जरूरत : ७. मत्सरसे की हुई निन्दा का फल
मत्सरी सब में दोष ही देखता है
८. मत्सरी मनुष्य की तुच्छता धन्नुलाल का दृष्टांत धर्मयोग्य बनाने वाले गुण
९. जैसा अभ्यास वैसा फल
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