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347 257 319 449 516
565 565 562 36
28
67
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614 526
50
565
277
29 575
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विमर्शोऽयं पश्चात् विरक्तसंकथा विरुद्धधर्मयोगे विलुप्यमाना विविच्यमाने विवेकिनापि विशेषण तदे विशेषबाध विशेषस्मरणा विशेषविधि विशेष्यबुद्धि । विशेषणादि . विशेषेन्तर्नि । विशेषोऽपि हि विशेषो वीर्य विश्वस्थिति विष्ठाहतो . विषयस्तमि विषया एव . विषसंपृक्त वृत्तिः सूत्रं तिला वृत्तिरेवंविधा वृत्तिश्चावयवे वृत्त्योपपाद्य वृद्धागमानु वृश्चिकादेस्समु वृषः पिशङ्गो बेदाद्गुरुनियोगात् वैखरीवाकू वैदिकार्थविषयो वैतण्डिकः प्रयतते वैधयंकथने
वैधर्म्यशब्दो वैधर्म्यसाधने व्यक्तिभेदाश्र व्यक्तिव्यञ्जक व्यक्त्यन्नरानु व्यक्तिसर्वगत व्यक्तेश्न्यत्र व्यक्तेरेव व्यक्तौ तावत् व्यतिरेके तु व्यतिषक्तार्थ व्यवहारे क्वचित् व्यवधानम व्याकरण कथ व्यक्त्याकृति व्याख्याताप्रति व्यात्तानना व्यापार एव व्यापारस्तु व्याप्यव्यापक व्यावृत्तं वस्तुनो व्यावृत्तमिद व्यावृत्तिरनु व्यावृत्तिरपि व्यासज्यवर्त घ्युत्पत्तिरहितः व्योम्नः सर्वगत
356 692 449 115 44 428 246 515 516
59 278 345
342 209 210 209 262
63 565 450
82 324 571 29
31
470
32 517 512
38
535
76 157 261 542 565
शक्ता तृणमपि शक्ताशक्तप्रसू
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