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________________ अरिहंत की आवश्यकता-वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में ३९ कराती है। इस समय टायलिन का भी अधिक उपयोग होता है। ऐसी स्थिति में हम खाते हैं चार रोटी पर ऊर्जा एक रोटी की मात्रा जितनी लगभग प्राप्त कर सकते हैं। इससे आहार का परिमाण बढ़ता है और खाने की वृत्ति भी व्यापक होती है। आवश्यकता से अधिक स्वाद के उत्तेजित होने से वे पदार्थ की ऊर्जा को कम करते हैं और खाने की वृत्ति को अधिक तेज करते हैं। आप स्वयं इसका अनुभव करके भी देख सकते हैं। मीठे पदार्थों को इस प्रकार मुँह में घुमाकर स्वाद (taste) को उत्तेजित कर अधिक ग्रहण करने से राग और नमकीन पदार्थों से द्वेष भाव की वृद्धि होती है। विज्ञान के अनुसार मीठा पदार्थ भूख को कम करता है। कडुवा पदार्थ भूख बढ़ाता है। खट्टा स्वाद प्यास बुझाता है और नमक का स्वाद प्यास को भड़काता है। - जब कि अरिहंत द्वारा प्रस्तुत इस Theory के उपयोग से कम आहार में अधिक ऊर्जा सम्पादित होती है और आस्वादन कम लेने से रागद्वेष की वृद्धि भी कम होती आवर्त-आवर्तन और परिवर्तन __ सृष्टि की प्रत्येक वस्तु निम्नतम ऊर्जा स्थिति (Minimum energy state) में रहना चाहती है। न्यूनतम ऊर्जा स्थिति में ही वस्तुओं में अधिकतम स्थिरता आती है। अतः अधिकतम स्थिरता के लिए वस्तु की ऊर्जा निम्नतम होनी चाहिये। व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक प्रवृत्ति करता है। अधिक प्रवृत्ति से स्थिरता कम होती है। वह चाहता है उसे कोई ऐसा उपाय मिले जिससे अधिक प्रवृत्ति करने पर भी उसकी ऊर्जा बढ़ती रहे, कम न हो पावे। ___ अब हम देखेंगे कि अरिहंत ने हमें ऐसे कुछ तरीके बताये हैं कि जिससे हम स्थिरता, स्थिति और शक्ति को बढ़ा सकें। न्यूनतम ऊर्जा लगाकर अधिकतम बल प्राप्त कर सकें। . वर्तमान युग की एक बात से तो हम बहुत परिचित है कि गोलाकार वस्तुओं की सतह का क्षेत्रफल सबसे कम होता हैं और इसी कारण उनकी सतह की ऊर्जा निम्नतम होती है। इसी निम्नतम ऊर्जा या अधिकतम स्थिरता को प्राप्त करने के लिए वस्तुएँ गेंद जैसा-आकार धारण करने की कोशिश करती हैं। यही कारण है कि सूरज, चाँद, तारे, धरती और दूसरे सभी खगोलीय पिण्डों की बनावट गोल होती है। पानी की बूंदें किसी भी तरीके से पैदा की जाएँ वे तुरन्त ही गोलाकार रूप में बदलने का प्रयास करती हैं। जल सरोवर में चाहे किसी भी आकार की चीज फैंकी जाय इसके आवर्त गोल ही होते हैं। अणु और परमाणु की बनावट भी गोलाकार है। परमाणुओं में उपस्थित इलेक्ट्रोन, प्रोटोन और न्यूट्रोन जैसे कण भी गोल हैं। यही कारण है कि बिजली की किसी भी चीज का मूल देखेंगे-उसकी मोटरें, व्हील या पंखे गोलाई में घूमकर अपना कार्य सम्पन्न करते हैं। घड़ी भी अपने गोल साधनों में और
SR No.002263
Book TitleArihant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreji
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1992
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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