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३८ संबंध-दर्शन-अरिहंत और हम
...................................... का भाग मीठे और खट्टे स्वाद का अनुभव करता है, पीछे का भाग कड़वे स्वाद का
और किनारे का भाग नमकीन स्वाद का अनुभव करता है। जीभ का मध्यभाग किसी भी प्रकार के स्वाद का अनुभव महीं करता।
बालक की अपेक्षा प्रौढ़ की जीभ पर अधिक स्वादकलिकाएँ होती हैं। एक प्रौढ़ की जीभ पर औसतः ३000 स्वादकलिकाएँ होती हैं। पेट की खराबी, कब्ज, बुखार, वृद्धावस्था आदि कारणों से ये स्वादकलिकाएँ शिथिल और निष्क्रिय होने लगती हैं।
मुँह की लार में घुला हुआ भोजन स्वादकलिकाओं को क्रियाशील करता है। इस रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा Nerve fibre (तन्त्रिका तन्तु) में Nerve impulses . (तन्त्रिका आवेग) पैदा हो जाते हैं। ये आवेग मस्तिष्क के स्वादकेन्द्र तक पहुँचकर .' स्वाद का अनुभव देने लगते हैं। ___ भोजन पचाने की क्रिया हमारे मुँह से शुरू होती है। जब हम इसे चबाते हैं तो मुँह . . की लार (Saliva) इसे गीला कर देती है। लार में टाइलिन (Ptylin) नामक पदार्थ होता है जो भोजन में उपस्थित मंड (Starch) को चीनी में बदल देता है। आपनें यह : अनुभव किया होगा कि अधिक चबाने पर पदार्थ का स्वाद मीठा हो जाता है। इसी कारण भोजन को अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना चाहिए। चबाया हुआ लार युक्त पदार्थ पेट-आमाशय में पहुँचता है। यहाँ इसमें आमाशय रस मिलता है। इस रस में घुलकर पदार्थ छोटी आंत (Small intestine) में पहुँच जाता है। यहाँ पर इसमें तीन पाचक रस यकृत (Liver) से पित्तरस, अग्न्याशय रस (Pancreatic juice)
और आंत्ररस (Intestinal juice) मिल जाते हैं। इसमें से आंत्ररस इस चीनी को ग्लुकोज में बदल देता है।
ग्रास की Side बदलने का कारण भोजन के द्वारा अधिक स्वाद लेना है। यह प्रक्रिया दोनों ओर बदलती रहने से हम कम चबाकर अधिक स्वाद ले सकते हैं। परिणामतः भोजन की अनिवार्यता की अपेक्षा स्वाद ग्रहण की अनिवार्यता बढ़ती है
और उसकी पूर्ति के लिए हम बराबर ग्रासों की Side को बदलते रहते हैं। ऐसा करने से स्वादकलिकाएँ उत्तेजित हो जाती हैं। इस समय क्षमता से अधिक इन्हें क्रियाशील होना पड़ता है। इस activity में त्वरितता आने से चबाने की प्रक्रिया कम होती है और भोज्य पदार्थों में से मुख्य-मुख्य स्वादों के taste लेकर हम इसे अंदर उतार लेते हैं। पूरा न चबाने से मांड की चीनी में बदलने की क्रिया भी अधूरी रहती है। बिना चीनी बना पदार्थ आमाशय में पहुँचने पर आमाशय रस में भी नहीं घुलता और आगे बढ़कर छोटी आंतों के तीन रसों के मिलने में भी अस्तव्यस्तता हो जाती है।
दूसरी बात Taste sensitive cells जीभ के अग्रभाग और आसपास में हैं। ग्रास को मुँह में घुमाने से हम दाँतों के साथ जीभ को active रखते हैं। Action देती हुई जीभ सतत स्वादकलिकाओं को उत्तेजित कर उसे भोजन रस के स्वादों का सम्पर्क