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तीर्थकरत्व एवं तीर्थकर नामकर्म
आराधक से आराध्य २. अरिहंत पद प्राप्ति के उपाय
श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा की विभिन्न मान्यताएं अरिहंत बनने के २० उपाय वात्सल्य सप्तक-अरिहंत, सिद्ध, प्रवचन, गुरु, स्थविर, बहुश्रुत, तपस्वी-वात्सल्य। अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग, दर्शन, विनय, आवश्यक, निरतिचार शीलव्रत, क्षणलव, तप, त्याग, वैयावृत्य, समाधि, अपूर्वज्ञान ग्रहण, श्रुत-भक्ति, प्रवचन-प्रभावना।
खंड ३
-स्वरूप-दर्शन
पृष्ठ १२५-२६१
अध्याय-५ च्यवन कल्याणक
१२७-१३८
. १. कल्याणक का स्वरूप, महत्व एवं महोत्सव
'मनाने का उद्देश्य और परिणाम २. च्यवन
च्यवन से पूर्व की गति अद्वितीय-असाधारण विशेषता उच्चकुल-प्रधानता-ज्ञानत्रय से समन्वित त्रैलोक्य में अपूर्व प्रभाव
अन्य वातावरण की अनुकूलता ३. रहस्यात्मक-स्वप्न
निमित्तशास्त्र में स्वप्न विद्या का स्थान भारतीय स्वप्न शास्त्र में स्वप्नों के कारण स्वप्न फल स्वप्न के विभिन्न प्रकार एवं स्वरूप
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