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च्यवन कल्याणक १३३ . . . . . . . . . . . . . . .
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प्रश्न-हे भगवन् ! स्वप्न कितने कहे गये हैं ? उत्तर-हे गौतम ! स्वप्न बयालीस कह गये हैं। प्रश्न-हे भगवन् ! महास्वप्न कितने कहे गये हैं ? उत्तर-हे गौतम् ! महास्वप्न तीस कहे गये हैं। प्रश्न-हे भगवन् ! कुल स्वप्न कितने कहे गये हैं.? उत्तर-हे गौतम ! कुल स्वप्न बहत्तर कहे गये हैं।
प्रश्न-हे भगवन् ! जब तीर्थंकर का जीव गर्भ में आता है, तब तीर्थंकर की माता कितने महास्वप्न देखकर जागृत होती है?
उत्तर-हे गौतम! जब तीर्थंकर का जीव गर्भ में आता है, तब तीर्थंकर की माता इन तीस महास्वप्नों में से चौदह महास्वप्न देखकर जागृत होती है। यथा-हाथी, वृषभ, सिंह, लक्ष्मी, पुष्पमाला, चन्द्र, सूर्य, ध्वजा, कलश, पद्मसरोवर, रत्नाकर, विमान, रत्नराशि एवं अग्नि।
हे भगवन् ! स्वप्न दर्शन कितने प्रकार का कहा गया है?
हे गौतम ! स्वप्न दर्शन पाँच प्रकार का कहा गया है, यथा (१) यथातथ्यस्वप्नदर्शन, (२) प्रतानस्वप्न-दर्शन, (३) चिन्तास्वप्न दर्शन, (४) तद्विपरीतस्वप्न दर्शन और (५) अव्यक्तस्वप्न दर्शन। ___ मूल पाठ में स्वप्न दर्शन के सिर्फ पाँच प्रकार बताए गए हैं। विवेचक इसका विश्लेषण इस प्रकार कहते हैं :
सुप्त अवस्था में किसी भी अर्थ के विकल्प का अनुभव करना “स्वप्न" कहलाता है। इसके पाँच भेद हैं।
(१) यथातथ्य स्वप्न दर्शन-स्वप्न में जिस वस्तु-स्वरूप का दर्शन हुआ, जागृत होने पर उसी को देखना या उसके अनुरूप शुभाशुभ फल की प्राप्ति होना-यथातथ्य स्वप्न-दर्शन कहलाता है। इसके दो भेद हैं। यथा-दृष्टार्थाविसंवादी और फलाविसंवादी। स्वप्न में देखे हुए अर्थों के अनुसार जाग्रतावस्था में घटना घटित होना "दृष्टार्थाविसंवादी" स्वप्न हैं। जैसे-किसी मनुष्य ने स्वप्न में देखा कि किसी ने मेरे हाथ में फल दिया। जाग्रत होने पर उसी प्रकार का बनाव बने अर्थात् उसके हाथ में कोई फल दे। स्वप्न के अनुसार जिसका फल (परिणाम) अवश्य मिले वह “फलाविसंवादी" है। जैसे किसी ने स्वप्न में अपने आपको हाथी-घोड़े आदि पर बैठा देखा और जाग्रत होने पर कालान्तर में उसे धन-सम्पत्ति आदि की प्राप्ति हो।
(२) प्रतानस्वप्न-दर्शन-प्रतान का अर्थ है विस्तार। विस्तार वाला स्वप्न देखना "प्रतान-स्वप्न' है। यह सत्य भी हो सकता है और असत्य भी।
(३) चिन्तास्वप्न-दर्शन-जाग्रतावस्था में जिस वस्तु की चिन्ता रही हो अथवा जिस अर्थ का चिन्तन किया हो, स्वप्न में उसी को देखना "चिन्तास्वप्न दर्शन" है।