SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 391
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३५८ भरतबाहुबलिमहाकाव्यम् होकर उसे मुक्त कर दिया । वह क्या स्त्री जो शिथिल स्तनों वाली होने पर भी अपनी सपत्नी का पराभव सहन करे ? ४८. ततोप्यवश्यायनिषेकपाताज्जहेतरां जीवितमब्जिनीभिः । अमूदृशीनां सुकुमारमेव , प्रोत्तेज्य शस्त्रं हि विधिनिहन्ता ॥ उसके बाद हेमन्तकालीन तुषारपात के कारण कमलिनियों ने अपना जीवन समाप्त कर डाला। इस प्रकार की सुकुमार शरीर वाली कमलिनियों के लिए सुकुमार शस्त्र (हिम) को तेजकर विधाता उनको मार डालता है। ४६. जाड्यातिरेकाज्जघनप्रदेशात् , काञ्चीकलापं व्यमुचन मगाक्ष्यः। ... तत्कामिभिः साधुरमानि कालो , ध्रियेत भूषा हि सुखाय नित्यम् ॥ शीत की अधिकता के कारण स्त्रियों ने अपनी कमर पर बंधी हुई करधनी को खोलकर रख दिया। कामुक व्यक्तियों ने उस काल को अच्छा माना । क्योंकि आभूषण सदा सुख के लिए ही पहने जाते हैं। .. ५०. महुवितन्वन्नधरं व्रणाङ्क, निर्मखलाभं जघनञ्च कुर्वन् । हिमागमः कान्त इवाङ्गनाभिरमानि रोमाञ्चचयप्रपञ्ची ॥ अधरों को बार-बार व्रणांकित तथा जघन को करधनी रहित करते हुए रोमांचित करने वाले हिमकाल (शीतकाल) को स्त्रियों ने पति के रूप में माना । ५१. प्रियस्य सीत्काररवान् मृगाक्ष्यः , संभोगलीला स्मरयाम्बभूवुः । हेमन्त एष स्मरभूपतेस्तत् , सामन्त एव प्रतिपादनीयः॥ अपने पति के मुख से निकलने वाले सीत्कार शब्दों को सुनकर कान्ताओं को संभोग लीला का स्मरण हो आया । यह हेमन्त ऋतु कामदेव का सामन्त है-ऐसा कहा जा सकता है। ५२. वधूस्तनोत्सङ्गकृताधिरोहो , मेदस्विनी/मनशर्वरीः सः। गर्भालयान्तः क्षणवन्निनाय , सुखाय हि स्याद् धनिनां हिमतुः॥ महाराज भरत ने तलघर में अपनी कान्ताओं के स्तनों के क्रोड में आरोहण कर उन अत्यन्त ठंडी और लम्बी रातों को क्षण की भांति बिता डाला । हेमन्त ऋतु धनिकों के लिए सुखदायी होता है। १. हैमनशर्वरी—शीत ऋतु की रात ।
SR No.002255
Book TitleBharat Bahubali Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishwa Bharati
Publication Year1974
Total Pages550
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy