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________________ मुनि सुदर्शनजी और श्रीचन्दजी 'कमल' की आलोचना-प्रत्यालोचना ने मेरी प्रेरणा को गति दी है। मुनिश्री चम्पालालजी (लाडनू) ने मेरे शारीरिक श्रम को यथावकाश कम करने के लिए अपनी सेवाएं देकर मुझे इस कार्य में सहयोग दिया है। • इन सबके प्रति मैं प्रणतभाव से अपना आभार व्यक्त करता हूँ। हमारे संघ के वयोवृद्ध संस्कृतज्ञ स्व० मुनिश्री कानमलजी स्वामी ने जब चूरू में (वि० २०२६) यह जाना कि यह काव्य प्रकाश में आ रहा है तो वे बहुत प्रसन्न हुए थे । इस महाकाव्य के दसों श्लोक उनके कंठस्थ थे । उन्होंने वे. पंद्य मुझे सुनाए। काश ! आज वे होते । वीर निर्वाण की पचीसवीं शताब्दी के इस पावन अवसर पर भगवान् महावीर के चरणों में नत होकर, उनके ही पूर्वज तीर्थंकर ऋषभ के पुत्र भरत और बाहुबली से संबंधित इस महाकाव्य को जन भाषा (हिन्दी) में प्रस्तुत कर अपनी एक लघु श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हूँ। २५०० वां निर्वाण दिवस मुनि दुलहराज नई दिल्ली .
SR No.002255
Book TitleBharat Bahubali Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishwa Bharati
Publication Year1974
Total Pages550
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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