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________________ २६४ भरत बाहुबलि महाकाव्यम् कर रहे थे । कुछ सुभटों ने हाथियों को तैयार किया। कुछ सुभटों ने रथों में घोड़ों और कुछ ने बैलों को जोड़ा । ५. 'कुछ सुभटों ने तलवारें धारण कीं और कुछ सुभटों ने धनुष्यों पर बाण चढ़ाए । कुछ सुभट गदा, मुद्गर, शक्ति (सांग) और भालों को बार-बार चलाने लगे । ७. केचित् कृपाणान् बिभराम्बभूवुश्चापान् समारोपयितुं च केचित् । केचित् गदामुद्गरशक्ति कुन्तान् पुनः पुनश्चालयितुं प्रवृत्ताः ॥ " कुछ सुभट दोनों पावों में तूणीरों को धारण कर पक्षियों की शोभा को पा रहे थे । कुछ सुभटों ने हाथियों की सूंडों और दोनों पावों में कृपाण और भालों का संग्रह किया | ८. केचिद् द्विपक्षापितगृध्रपक्षाश्रयां श्रयन्तिस्म शकुन्तलक्ष्मीम् । संग्राहयामासुरिर्यदेके, करैश्च पक्षैश्च कृपाणकुन्तान् ॥ 'बहली देश के स्वामी बाहुबली यमराज (मृत्यु) के समान हैं । युद्ध-स्थल में उनका मुँह देखना होगा - इस प्रकार अन्तर्मन में उत्पन्न होने वाली उग्र चिन्ता से दीन बनी हुई धूओं से कुछ सुभट विधुर हो गए । ε. " कृतान्तकल्पो बहलीश्वरोस्ति यतो रणे तन्मुखमोक्षणीयम् । इत्यन्तराविर्भवदुग्रचिन्तादीनाभिरेके विधुरा वधूभिः ॥ प्रवर्धमानाधिकधैर्य शौर्य र सोच्छलत्कुन्तलमञ्जुलास्याः । तृणीकृत्य पुरः प्रसत्र:, स्वस्वामिनः केचन शूरसिंहाः ॥ ai में सिंह के समान कुछ सुभट युद्ध को तुच्छ समझते हुए अपने स्वामी भरत के आगे-आगे चले | वृद्धिंगत अत्यधिक धैर्य और शौर्य रस से उछलते हुए केशों से उनका मुँह सुंदर लग रहा था । 1 रणक्षित तक्षशिलाक्षितीशः पूर्वं समेतः क्रियते भवद्भिः । अद्यापि fi नोदयतिस्म सेनाधीशः स्वपुंभिस्त्विति वीरधुर्यान् ॥ महाराज बाहुबली रणभूमी में पहले ही आ पहुंचे हैं । आप सब - अब तक क्या कर रहे हैं ? इस प्रकार सेनापति सुषेण अपने आदमियों द्वारा वीर सुभटों को प्रेरित कर रहा था ।
SR No.002255
Book TitleBharat Bahubali Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishwa Bharati
Publication Year1974
Total Pages550
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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