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________________ २०८ . . भरतबाहुबलिमहाकाव्यम् .१५. तदा दक्षिणदिग्नेता', चकम्पे दण्डधार्यपि । भम्भानादात् सुवर्णाद्रिकम्पात् किं कम्पते न भूः ? .. 'उस समय भेरी के शब्द से दक्षिण दिशा का दण्डधारी नेता यम भी कांप उठा। क्या सुमेरु पर्वत के कंपित होने से पृथ्वी प्रकंपित नहीं हो जाती ?' । १६. भम्भाया वाद्यमानायाः , सुघोषाया इव ध्वनिः। सज्जीचकार कृत्याय , सैनिकांस्त्रिदशानिव ॥ .. 'भृत्यों द्वारा बजाई जानेवाली भेरी की ध्वनि ने सैनिकों को अपने कार्य के लिए सज्जित कर दिया, जैसे सुघोषा घण्टा की ध्वनि देवताओं को सज्जित कर देती है।' १७. पञ्चबाण' इवौद्धत्यमानन्दमिव वल्लभः । ___ शौयं जागरयामास , भटानां स रवः क्षणात् ॥ 'उस नाद ने योद्धाओं में तत्काल शक्ति को जागृत कर, डाला, जैसे कामदेव उन्माद को और प्रिय पति आनन्द को जागृत करता है।' १८. सारङ्गाणामिवाम्भोदध्वनी रसधरागमे । पुपोषामन्दमानन्दं , भम्भानादस्ततः क्षणात् ॥ . 'भेरी के नाद ने क्षणभर में सभी सुभटों के मन में प्रचुर आनन्द उत्पन्न कर दिया, जैसे वर्षा ऋतु में मेघ की ध्वनि चातकों में प्रेम उत्पन्न करती है।' . १९. अबला भीरवोप्युच्चैः , कातरत्वं स्वभावजम् । विहायोत्तेजयामासुर्भटानां शौर्यमद्भुतम् ॥ 'अपनी स्वाभाविक कायरता को छोड़कर भीरु अबलाओं ने भी सुभटों के पराक्रम को विचित्र प्रकार से उत्तेजित कर डाला।' १. दक्षिणदिग्नेता-यमराज (यमः कृतान्तः पितृदक्षिणाशा प्रेतात्पतिः-अभि० ९८) २. पञ्चबाण:-कामदेव। ३. रसधरागमे-प्रावृट्काले । ४: अबला:-स्त्रियः।
SR No.002255
Book TitleBharat Bahubali Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishwa Bharati
Publication Year1974
Total Pages550
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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