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छठा सर्ग . भरत की सेना के प्रथम पडाव का वर्णन ।
प्रतिपाद्यश्लोक परिमाण
छन्द-
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लक्षण
स्वागता। 'स्वागता रनभगैर्गरुणा च' (एक रगण, एक नगण, एक भगण और दो गुरु-डा,1,I, ss) । इसमें ग्यारह अक्षर होते हैं । इसमें नौवां अक्षर ह्रस्व और दसवां दीर्घ होता है ।