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प्रतिपाद्य
श्लोक परिमाण
छन्द
लक्षण -
चौथा सर्ग
दूत का भरत के समक्ष प्राकर सारी बात बताना तथा सुषेण सेनापति द्वारा भरत को उत्साहवर्धक वचन कहना ।
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वियोगिनी ।
विषमे ससजा गुरुः समे, सभरा लोऽथ गुरुवियोगिनी । इसके पहले और तीसरे चरण में दस-दस अक्षर और दूसरे तथा चौथे चरण में ग्यारह-ग्यारह अक्षर होते हैं । पहले तथा तीसरे चरण में - ( दो सगण, एक जगण तथा एक गुरु – II, II, ISI, 5) दूसरे तथा चौथे चरण में - (एक सगण, एक भगण, एक रगण, एक लघु और एक गुरु — 115, 511, 515, 1, 5 ) ।