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अध्याय २ (३) निशीथ सूत्र - दशाश्रुतस्कन्ध - प्रज्ञापना निशीथ सूत्र
. छेद सूत्रों में निशीथ सूत्र का स्थान सर्वोपरि है । यह आचारांग सूत्र का ही एक भाग माना जाता है। आचारांग सूत्र के द्वितीय श्रुतस्कन्ध की पाँच चूला हैं । निशीथसूत्र पाँचवी चूला है। इसीलिए निशीथसूत्र को निशीथचूला अध्ययन भी कहा जाता है। इस सूत्र का एक नाम आचार-प्रकल्प भी है।'
निशीथ सूत्र की रचना किसने और कब की ? अब हम इस पर विचार करेंगे । निशीथसूत्र दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों को ही मान्य है। अतः इतना तो कहा ही जा सकता है कि श्वेताम्बर दिगम्बर मतभेद से या दोनों शाखाओं के पार्थक्य से पूर्व ही इसकी रचना हो चुकी थी। पट्टावलियों का अध्ययन इस बात की तो साक्षी देता है कि दोनों परम्परा की पट्टावलियाँ आचार्य भद्रबाहू तक तो समान रूप से चलती आती है, किन्तु उन के बाद से पृथक् हो जाती है। निशीथसूत्र के कर्ता कौन है ? इस विषय में कई मत है१. एक परम्परा यह है कि आचार्य भद्रबाहूकृत माने जाने वाले . व्यवहार सूत्र में 'आचार प्रकल्प' का कई बार उल्लेख है। अतएव
स्पष्ट है कि आचार्य भद्रबाहू के समक्ष किसी न किसी रूप में वह
उपस्थित था. यह तो मानना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में निशीथ आचार्य ..' भद्रबाहू के समय की रचना तो मानी ही जा सकती है इस दृष्टि से
वीर निर्वाण के १५० वर्ष के भीतर ही निशीथ का निर्माण हो चुका
था, इसे हम असंदिग्ध होकर स्वीकार कर सकते हैं। - एक परम्परा यह भी है कि आचार्य भद्रबाहू ने निशीथसूत्र
की रचना की है।' तब भी इस का समय वीर निर्वाण के १५० वर्ष के बाद तो हो ही नहीं सकता। और एक पृथक् परम्परा यह भी १. निशीथ सूत्रम् , संपादकीय प्रथम भाग, पृष्ठ ३ ॥