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जैन दर्शन में सम्यक्त्व का स्वरूप इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारा विषय 'सम्यक्त्व' प्राचीन सूत्रों में 'साम्य' अर्थ को लिया हुआ है। यह साम्यभाव श्रद्धा पर आश्रित होने से पश्चात्वर्ती ग्रन्थों में सम्यक्त्व का अर्थ श्रद्धान व्यवहत किया है। अब हम देखेंगे कि आगमों में किस प्रकार यह अर्थ विकसित हुआ ?