SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन दर्शन में सम्यक्त्व का स्वरूप की प्राप्ति के द्वितीय क्षण में ही मोक्ष हो जायगा । एक क्षण भी पूर्णज्ञान के बाद संसार में ठहरना नहीं हो सकेगा । उपदेश, तीर्थ प्रवृत्ति आदि कुछ भी नहीं हो सकेंगे। यह संभव नहीं है कि दीपक भी जल जाय और अंधेरा भी रह जाय । उसी तरह यदि ज्ञान मात्र से मोक्ष हो तो यह संभव ही नहीं हो सकता कि ज्ञान भी हो जाय और मोक्ष न हो । यदि पूर्ण ज्ञान होने पर भी कुछ संस्कार ऐसे रह जाते हैं जिनका नाश हुए बिना मुक्ति नहीं होती और जब तक उन संस्कारों का क्षय नहीं होता तब तक उपदेश आदि हो सकते हैं, तो इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि संस्कारक्षय से मुक्ति होगी ज्ञान मात्र से नहीं । ' x यहाँ टीकाकार स्पष्ट कर रहे हैं कि "जो यह मानते हैं कि ज्ञान से ही मोक्ष संभव है अन्य की आवश्यकता नहीं" । उसका खण्डन करते हुए स्वमत की पृष्टि की है। ज्ञान से मोक्ष मानने पर सम्यग्दर्शन का अभाव हो जाता है । तात्पर्य यह है कि जैन- दर्शन ने मोक्ष मार्ग में सम्यग्दर्शन को प्राथमिकता दी है । जब हम ज्ञान से मोक्ष मान लेंगे तो उसका अभाव हो जायगा । अतः सम्यग्दर्शनादि तीनों से ही मोक्ष संभव हो सकेगा यह स्पष्ट हुआ । अब आगे सम्यग्दर्शन का लक्षण देते हुए सूत्रकार कहते हैं कि" तत्त्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनम् " २ - अर्थात् अपने अपने स्वरूप के अनुसार पदार्थों का जो श्रद्धा होता है वह सम्यग्दर्शन है । सम्यग्दर्शन का यह लक्षण उत्तराध्ययन आदि सूत्रों में भी आलेखित है । यहाँ टीकाकार स्पष्ट कर रहे हैं कि तत्त्वार्थ के श्रद्धान को सम्यग्दर्शन कहा है वह युक्तिसंगत है या नहीं ? टीकाकार पूज्यपाद इसका खुलासा करते हैं कि - तत्त्वार्थ शब्द दो शब्दों की सन्निधि से बना है । तत्त्व + अर्थ | तत्त्व शब्द का अर्थ १. ज्ञानादेव मोक्ष इति चेत्; अनवस्थानादुपदेशाभावः । ५० । संस्कार क्षयादवस्थानादुपदेश इति चेत्; न प्रतिज्ञावविरोधात् ॥ ५१ रा० वा०, पृ० १४ ॥ २. त० सू०, अध्याय १, ० २ ।।
SR No.002254
Book TitleJain Darshan me Samyaktva ka Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year1988
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy