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पाठ
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नियम : द्वितीया (पु, स्त्री., नपुं.) :
सर्वनाम :
नि. २७ : (क) द्वितीया विभक्ति के एक वचन में अम्ह का ममं तथा तुम्ह का तुम रूप बनता
है। बहुवचन में प्रथम विभक्ति के समान अम्हे और तुम्हे रूप बनता है। (ख) पल्लिग सर्वनाम त.इम.एवं क में द्वितीया विभक्ति के एकवचन में अनस्वार
(') लग जाता है । बहुवचन में प्रथम विभक्ति के समान रूप बनते हैं। . (ग) स्त्रीलिंग सर्वनाम ता, इमा, का द्वितीया विभक्ति एकवचन में ह्रस्व हो जाते हैं
तब उनमें अनुस्वार ()लगता है और उनके रूप पुल्लिग सर्वनामों के समान बनते हैं। यथा-तं, इमं, कं । बहुवचन में इन स्त्री. सर्वनामों के रूप प्रथम
विभक्ति के समान बनते हैं । यथा-ताओ, इमाओ, काओ। पुल्लिंग शब्द : नि. २८ : पुल्लिंग 'अ', 'इ' एवं उकारान्त शब्दों के आगे द्वितीया विभक्ति में
(क) एकवचन में अनुस्वार (') प्रत्यय लगता है । जैसे—बालअ = बालअं, सुधि ___सुधिं, सिसु = सिसु आदि। . (ख) बहुवचन में अकारान्त शब्दों के आगे दीर्घ 'आ' लग जाता है।
जैसे-बालअ = बालआ, पुरिस = पुरिसा, आदि। (ग) इकारान्त तथा उकारान्त शब्दों के आगे णो' प्रत्यय लग जाता है।
___ जैसे-सुधि = सुधिणो, सिसु = सिसुणो, आदि । स्त्रीलिंग शब्द : नि. 29 : स्त्रीलिंग आ, इ, ई, उ एवं ऊकारान्त शब्दों के आगे द्वितीया विभक्ति
(क) एकवचन में अनुस्वार () प्रत्यय लगता है एवं शब्द के अन्त के आ, ई तथा
ऊ हस्व हो जाते हैं । जैसे- बाला = बालं, नई = नई,बहू = बहुं आदि। (ख) बहुवचन में आ,इ,ई,उ एवं ऊकारान्त शब्दों के आगे 'ओ' प्रत्यय लगता है।
जैसे—बाला= बालाओ, नई = नईओ,बहू = बहूओ, आदि नपुंसकलिंग शब्द : नि. 30 : नपुसंकलिंग अ, इ, एवं ऊकारान्त शब्दों एवं सर्वनामों के रूप द्वितीया
विभक्ति के एकवचन एवं बहुवचन में प्रथमा विभक्ति के समान ही होते हैं। यथाए. व.-णयर,
वारिं, वत्थु, इम, तं, ब. व.-णयराणि, वारीणि, वत्थूणि, इमाणि, ताणि .
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प्राकृत स्वयं-शिक्षक