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________________ उदाहरण वाक्य : प्राकृत = भूवई इमाणि णयराणि जयइ = बालओ ताणि पुप्फाणि इच्छइ : अहं फलाणि भुंजामि पुरसो कमलाणि गिues सो घराणि पासइ रो खेत्ता िकस्सइ सीसो सत्थाणि पढइ नई वारीणि गिues कन्ना दहीणि पासइ वत्थूणि कोण इच्छइ करो : में अनुवाद मनुष्य नगरों को देख्ता है । वह फलों को खाता है । मैं फूलों को ग्रहण करता बालिका कमलों को देखती है। युवतियाँ घरों को जाती हैं। आदमी खेतों को जोतते. । छात्र शास्त्रों को पढ़ते हैं। स्त्रियाँ पानी को लाती हैं। कन्याएं दही को देखती हैं। साधु वस्तुओं को नहीं चाहता है । . शब्दकोश (नपुं. ) : नयण हियय मित्तं चारित पाव बहुवचन ( नपुं.) In खण्ड १ : राजा इन नगरों को जीतता है । बालक उन फूलों को चाहता है । मैं फलों को खाता हूँ । आदमी कमलों को लेता है । वह घरों को देखता है । मनुष्य खेतों को जोतता है । शिष्य शास्त्रों को पढ़ता है । नदी पानी को ग्रहण करती है । कन्या दही को देखती है । वस्तुओं को कौन नहीं चाहता है ? आंख हृदय मित्र चारित्र पाप कुल अमिअ विस अट्ठि अंसु = प्राकृत में अनुवाद करो सन्तुष्ट वह आंख को खोलता है । मैं हृदय को जानता हूँ। वह मित्र को करे । हम सब चारित्र को पालें । तुम सब पाप मत करो। पिता कुल को पूछता है। कौन अमृत को नहीं चाहता है ? शिव विष को पीता है। वह हड्डी को त्यागता है । वह आंसू को गिराता है। निर्देश इन वाक्यों का बहुवचन ( द्वितीया) में : प्राकृत वंश अमृत विष में अनुवाद ड्ड आंसू करो 1 ४५
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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