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पाठः
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नियम : क्रियारूप क्रिया-प्रत्यय : नि. ९ : मूल क्रिया या शब्द में जो अन्य अक्षर या स्वर जुड़ते हैं उन्हें प्रत्यय कहा
जाता है। यथा-"पासइ" क्रिया के रूप में "पास" मूल क्रिया है एवं “इ” प्रत्यय . है। इसी तरह प्रत्येक काल की क्रियाओं के अलग-अलग प्रत्यय होते हैं, जो
सभी क्रियाओं में प्रयोग व काल के अनुसार जुड़ते रहते हैं। वर्तमानकाल : . एकवचन
बहुवचन . मि (म. पु) - सि
इत्था (अ. पु) नि. १०. : प्र. पु. के प्रत्यय मि, मो क्रिया में जुड़ने के पूर्व क्रिया के 'अ' को
दीर्घ आ हो जाता है। यथा- पास + मि = पास् + आ + मि
= पासामि, पास + मो = पासामो भूतकाल : नि. ११. : भूतकाल में सभी अकारान्त क्रियाओं में तीनों पुरुषों एवं दोनों वचनों में
'ईअ' प्रत्यय जुड़ता है। यथा-पास + ईम = पासी। .नि. १२. : आ, ए एवं ओकारान्त क्रियाओं में सी, ही, हीअ प्रत्यय जुड़ते हैं। किन्तु
. . प्रस्तुत पुस्तक में 'ही' प्रत्यय वाले रूप प्रयुक्त हुए हैं। यथा-दा + ही . . दाही, णे + ही = णेही। भविष्यकाल नि. १३. : भविष्यकाल की क्रियाओं में कई प्रत्यय जुड़ते हैं। किन्तु यहाँ निम्न एक
प्रत्यय को ही प्रयुक्त किया गया है। इस प्रत्यय के जुड़ने के पूर्व क्रिया के 'अ' को 'इ' हो गया है। यथा- पास् + इ + हिमि = पासिहिमि। एकवचन
बहुवचन (प्र. पु) . हिमि
हामो (म. पु) हिसि
हित्था (अ. पु) · इच्छा (विधि) / आज्ञा : नि. १४. : विधि एवं आज्ञा वाली क्रियाओं में निम्न प्रत्यय जुड़ते हैं:
हिंति
.. ....
(म. पु) (अ. पु)
खण्ड १
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