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पाठ
अभ्यास निर्देश : इन नियमों के सम्बन्ध कृदन्त के रूप बनाइये और उनका वाक्यों में प्रयोग
कीजिए:(क) रंज = आसक्त होना गण = गिनना वंच = ठगना
उज्जम = प्रयत्न करना उवदिस = उपदेश देना आदिस = . . आज्ञा देना.... अवगण = अपमान करना उट्ठ . = उठना .. फाड़ = फाड़ना
लव = कहना मोत्त = छोडना
दट्र = देखना. निर्देश : इन क्रियाओं के हेत्वर्थ कृदन्त के रूप बनाइये और उनका वाक्यों में प्रयोग
कीजिए.सिंच = सींचना परिहा = पहिनना आणे = ले आना ठव . = स्थापना करना . चक्ख
स्वाद लेना . वस . . = । रहना वण्ण = वर्णन करना वह
वहना निमंत = निमन्त्रण करना सिव्व = सीना
अहं. (दट्ठ) कहिहिमि । तुम..... (गण) गिण्हहि । सो वत्थं...._(फाड) णेही। तुम्हे..... (मोत्त) न गच्छिहिमि ।। तुम्हे.... -हिण्ड) सयित्था।
(ग) सम्बन्ध कृदन्त की क्रियाएँ बनाकर भरिए : सो... (वंच) गच्छी।
....रंज) भमंति। ------------अवगुणं खामइ ।
--(उ8) दुद्धं पाइ। अम्हे........(उज्जम) भुंजामो। (घ) हेत्वर्थ कृदन्त को क्रियाएँ बनाकर भरिए :
सो जलं...- (सिंच) पुच्छइ। ते...........(वष्ण) लिहन्ति। सा फलं.........(आणे) गच्छीअ। सो... ......(वस) पुच्छी। सो वत्थं.........(सिव्व) आणेइ।
अहं...- (चक्ख) भुंजामि। अम्. ... (निमंत) गच्छामो। सो वत्थं... --(परिहा) गच्छइ। अहं चित्तं.... ......(ठव) अम्हि। अहं अत्थ......... -(वस) ठाहिमि।
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प्राकृत स्वयं-शिक्षक