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________________ पाठ लिहिऊण सम्बन्ध कृदन्तं पासिऊण = देखकर करिऊण करके.. गच्छिऊण जाकर गिहिऊण ग्रहणकर इच्छिऊण इच्छाकर नमिऊण - नमनकर खेलिऊण खेलकर जाणिऊण जानकर पढिऊण पढ़कर धाविऊण दौड़कर .. सुणिऊण सुनकर हसिऊण हँसकर भुजिऊण भोजनकर णच्चिऊण नाचकर लिखकर सेविऊण सेवाकर पुच्छिऊण पूछकर सयिऊण सोकर : कहिऊण कहकर अच्चिऊण = . पूजाकर दाऊण देकर णेऊण ले जाकर गाऊण गाकर पाऊण पाकर खाऊण खाकर ठाऊण ठहरकर : झाऊण ध्यानकर ' होऊण होकर प्रयोग वाक्य : सो चित्तं पासिऊण लिहइ . वह चित्र को देखकर लिखता है। तुमं विज्जालयं गच्छिऊण पढसि = तुम विद्यालय जाकर पढ़ते हो। अहं जसं इच्छिऊण सेवामि = मैं यश की इच्छाकर सेवा करता हूँ। अम्हे पढिऊण खेलामो । = हम सब पढ़कर खेलते हैं। तुम्हे भुंजिऊण सयिहित्था . = तुम सब भोजन करके सोओगे। ते लिहिऊण पुच्छिहिति वे लिखकर पूछेगें। सा धाविऊण नमीअ उसने दौड़कर नमन किया। सो तत्थ ठाऊण अच्चीअ = उसने वहाँ ठहरकर पूजा की प्राकृत में अनुवाद करो : मैं हँसकर नमन करता हूँ। वह जानकर क्या करेगा? तुम देखकर पढ़ो। हम सब ध्यानकर पूजा करेंगे। वे सब व्याकरण पढ़कर क्या करेंगे? वह नाचकर सो गयी। मैंने वहाँ जाकर पत्र लिखा। वह पुस्तक पढ़कर प्रश्न पूछे । हिन्दी में अनुवाद करो : सो पुच्छिऊण जंपइ । ते अच्छिऊण आगच्छीअ। अम्हे पोत्थअं कीणिऊण पढामो । तुमं जिणिऊण जूरसि । अहं तुलिऊण पेसामि । सा दहिऊण कंदइ । प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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