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संदर्भ | संज्ञा | मूल | अर्थ | विशे. मूल | अर्थ | कृदन्त | मूल | अर्थ | क्रिया | मूल | अर्थ | सर्वनाम | मूल अर्थ अव्यय अर्थ संधि एवं समास
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समास)
तत्त
गाथा पाइअ- पागय प्राकृत | अमय | अमय अमृत पढिउं | पढ पढ़ना |आणं- आण जानना जे
स तंती = कव्वं कव्व काव्य (द्वि.
(सक) . ति (सक)
(प्रबव)
। तत्ततंती सप्तशती (द्वि. (नप)
त त(पु) वे कह
क्यों (षष्ठी तत्पुरुष ए.व) सोउं सुअ सुनना ब. व)
(प्रबव) ।२ कामस्स काम सुन्दर
ण नहीं पाइअस्स कव्वं (अनि
पाइय-कव्वं यमित)
(ष. त. पु. कुणंति कुण करना
समास)
(अपु) (सक) ए. व) तंती चिन्ता
लज्ज- लज्ज लज्जा तन्ति (स्त्री) (चर्चा)
ति (अक) करना
(अपु) विशेष-'पाइअ' यद्यपि विशेषण है, किन्तु भाषा, व्याकरण एवं काव्य के साथ प्रयुक्त होने पर पाइअ को संज्ञा माना गया है।