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हरि
वायु .
रोम
लोम
अमत्त
महि
मही
सुवर्ग
पुव्वं
बद
दी है, उनमें से कुछ यहाँ द्रष्टव्य हैं। वैदिक भाषा के शब्दों के मूल संदर्भ उस लेख से ज्ञात किये जा सकते हैं। १. समान स्वर-व्यंजन
- वैदिक भाषा और प्राकृत के स्वर तथा व्यंजनों के प्रयोग में कई साम्य देखे जाते हैं। यथा
वैदिक भाषा अर्थ प्राकृत वैदिक भाषा अर्थ प्राकृत हरी
हरी देवो देव दे वो । दूलह दुर्लभ दूलह ण
नहीं . वायू
वायू लोम • अमत्र अमात्य
अक्ष (आँख) अच्छ महि सूर्य
सुज्ज स्वर्ग सुवग्ग पुव्व पूर्व पितर पिता पिअर उच्चा ऊँचा उच्चा बुंद महा
महान् ___महा. गेह
गेह पक्क पका हुआ पक्क सेन्य सैन्य
जज्ञ : यज्ञ जण्ण लवण
लोण देवेहि देवों के द्वारा देवेहिः.. २. शब्दरूपों में समानता
प्राकृत में कारकों की कमी तथा उनका आपस में प्रयोग प्रायः देखा जाता है। वैदिक भाषा में भी यह प्रवृत्ति उपलब्ध है। नाम रूपों में प्रयुक्त कई प्रत्यय दोनों भाषाओं में समान हैं। दोनों में कुछ शब्द विभक्ति रहित भी प्रयुक्त होते हैं। वैदिक भाषा में प्राकृत की तरह द्विवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग भी पाया जाता है। कुछ समान : शब्द और सर्वनाम आदि इस प्रकार हैं :- ' (क) समान शब्द वैदिक भाषा . अर्थ
- प्राकृत रायो
• रायो छाग
बकरा छाग जाया
जाया पिप्पलं
पीपल पिप्पलं
लोण
राजा
पलि .
पवित्र
- पू
(ख) समान सर्वनाम
'सो
मो
मैं हम
अहं मो.