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पाठ
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प्रेरणार्थक क्रिया के प्रयोग
१. प्रेरक सामान्य क्रियाएँ क्रियाएँ : पिलाव = पिलाना
सीखाव = सिखाना खेलाव = खिलाना
जग्गाव = जगाना हसाव = हँसाना
= कराना लिहाव = लिखाना
उट्ठाव = उठाना णच्चाव = नचाना
सयाव = सुखाना
वर्तमान काल अहं सीसं पढावेमो
मैं शिष्य को पढ़ाता हूँ। .. अम्हे बालाओ पढावेमों
हम बालिकाओं को पढ़ाते है। तुमं तं पढावेसि
तुम उसको पढ़ाते हो। तुम्हे छत्ता पढावेइत्था
तुम सब छात्रों को पढ़ाते हो। सो ममं पढावेइ
= . वह मुझे पढ़ाता है। ते जुवईओ पढावेंति = . वे युवतियों को पढ़ाते हैं।
भूतकाल अहं सीसं पढावीअ ___ = मैंने शिष्य को पढ़ाया। अम्हे बालाओ पढावीअ = हमने बालिकाओं को पढ़ाया। सो ममं पढावी
उसने मुझे पढ़ाया।
भविष्यकाल अहं सीसं पढाविहिमि = मैं शिष्यको पढ़ाऊँगा। अम्हे बालाओ पढाविहामो = हम बालिकाओं को पढ़ायेंगे। तुमं तं पढाविहिसि
तुम उसे पढ़ाओगे।
इच्छा/आज्ञा अहं सीसं पढावमु
मैं शिष्य को पढ़ाऊँ। तुम तं पढाविह __= तुम उसे पढ़ाओ।
सो ममं पढावउ ___= वह मुझे पढ़ाये। प्राकृत में अनुवाद करो :
मैं उसे जल पिलाता हूँ। तुम मुझे पत्र लिखाते हो। उसने शिष्य को क्या सिखाया? तुमने यहाँ बालिका को नचाया। गुरु ने छात्र को पढ़ाया। विद्वान् साधु को उठाते हैं। बहू बच्चे को सुलायेगी। सास बहू को जगायेगी। तुम उसे न हँसाओ। राजा नौकर से कार्य कराये।
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प्राकृत स्वयं-शिक्षक