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२. प्रेरक कृदन्त-क्रियाएँ
सम्बन्ध कृदन्त पिवाविऊण = पिलाकर लिहाऊण = लिखाकर * खेलाविऊण = खिलाकर जग्गाविऊण = जगाकर हसाविऊण = हँसाकर ।
पढ़ाकर हेत्वर्थ कृदन्त पिवाविङ = पिलाने के लिए लिहाविउं = लिखाने के लिए खेलाविउं = खिलाने के लिए जग्गाविउ = जगाने के लिए हसाविङ = हँसाने के लिए पढाविउं = पढ़ाने के लिए
.. विधि कृदन्त पिवावणीअ = पिलाने योग्य लिहावणीअ = लिखाने योग्य
खेलावणीअ = खिलाने योग्य जग्गावणीअ = जगाने योग्य हसावणीअ = हँसाने योग्य पढावणीअ = पढ़ाने योग्य हसावअव्वं = हँसाने योग्य पढावअव्व = पढाने योग्य -
वर्त. कृदन्त पिवावमाणो = पिलाता हुआ लिहावंतो = लिखाता हुआ
खेलावमाणो = खिलाता हुआ. जग्गावंतो = जगाता हुआ । हसावमाणो = हँसाता हुआ पढावंतो = पढ़ाता हुआ
भूत कृदन्त पिवाविओ = “पिलाया हुआ । लिहाविओ = लिखाया हुआ • खेलाविओ = खिलाया हुआ जग्गाविओ = जगाया हुआ हसाविओ = हँसाया हुआ पढाविओ = पढाया हुआ
भविष्य कृदन्त . पिवाविस्संतो = पिलाया जानेवाला लिहाविस्संतो = लिखाया जाने वाला - खेलाविस्संतो = खिलाया जाने वाला जग्गाविस्संतो = जगाया जाने वाला
हसाविस्संतो = हँसाया जाने वाला पढाविस्संतो = पढ़ाया जाने वाला प्राकृत में अनुवाद करो : .— वह दूध पिला जाये। मैं उसे पढ़ाने के लिए जाउँगा। यह दूध पिलाने योग्य नहीं है। वह ग्रंथ लिखाने योग्य है। गुरु हँसाता हुआ पढ़ाता है। बालिका जगाती हुई हँसती है। उनके द्वारा लिखाया गया पत्र लाओ। मेरे द्वारा पढ़ायी गयी गाथा कहो। पिलाया जाने वाला जल कहाँ है?
खण्ड १