SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 164
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खण्ड१ - ... कर्मणि-प्रयोग चार्ट .. कर्मवाच्य मूलक्रिया प्रत्यय वर्तमान भूत. भविष्य विधि/आज्ञा व. कृ. | भू. कृ. भ. कृ. पास पासीअइ. पासीअईअ पासिहिद पासीअउ | पासीअमाणो । पासिओ | पासिस्समाणो पास इज्ज पासिज्जइ पासिज्जीअ |. पासिहिइ । पासिज्जउ | पासिज्जमाणो पासिओ पासिस्समाणो निर्देश : कर्मवाच्य के प्रत्यय ईअ/इज्ज क्रिया में लगाने के बाद क्रिया के रूप कर्म के अनुसार बनते हैं। विभिन्न क्रियाओं में ये प्रत्यय लगाकर कर्मवाच्य को क्रिया बनाने का अभ्यास करिए। भाववाच्य मूलक्रिया प्रत्यय वर्तमान भविष्य विधि/आज्ञा | व. कृ. । भू. कृ. । भ. कृ. हस ईअ हसीअइ हसीअईअ हसिहिइ हसीअउ हसीअमाणं हसि हसिस्समाणं हसिज्जइ । हसिज्जीअ हसिहिइ हसिज्जउ हसिज्जमाणं हसिअं हसिस्समाणं निर्देश : भाववाच्य की क्रिया सभी कालों में अन्य पुरुष एकवचन में ही प्रयुक्त होती है। तथा भाववाच्य कृदन्त नपुंसकलिंग एकवचन में ही | प्रयुक्त होते हैं।
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy