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________________ पाठ ७५ अर्थ ईसालु रेहिर तद्धित विशेषण शब्द : योग्यता-वाचक तद्धितरूप तद्धितरूप अर्थ रसाल रसयुक्त दयालु दया-युक्त जडाल जटाधारी ईर्ष्या-युक्त . सद्दाल शब्द-युक्त नेहालु स्नेह-युक्त जोण्हाल चाँदनी-युक्त लज्जालु लज्जा-युक्त गव्विर गर्व-युक्त सोहिल्ल शोभा-युक्त - रेखा-युक्त छाइल्ल छाया-युक्त दप्पुल्ल दर्प-युक्त मंसुल्ल दाढ़ीवाला धणमण . . धन-युक्त सिरिमंत श्री-युक्त सोहामण शोभा-युक्त धीमंत बुद्धि-युक्त भत्तिवंत भक्ति-युक्त गामिल्ल ग्रामीण धणवंत धन-युक्त घरिल्ल घरेलु एकल्ल. . अकेला णयरुल्ल नागरिक नवल्ल नया अप्पुल्ल आत्मा में उत्पन्न नत्थिअ . नास्तिक अत्थिअ आस्तिक उदाहरण वाक्य : जडालो जणो कत्थ गच्छइ = जटाधारी व्यक्ति कहाँ जाता है? अज्ज जुण्हाली रत्ति अत्थि • = आज चाँदनी रात है। ईसालू पुरिसो दुहं दाइ = ईर्ष्यालु आदमी दुःख देता है। गव्विरा जुवई ण सोहइ = घमंडी युवती अच्छी नहीं लगती है। तं रुक्खं छाइल्लं णत्थि = वह वृक्ष छायावाला नहीं है। धीमंता धणमणा ण होति ___ = बुद्धिमान् धनवान् नहीं होते हैं। तस्स धरिल्लं अभिहाणं किं अस्थि = उसका घरेलु नाम क्या है? नवल्ली बहू लज्जालू होइ = नयी बहू लज्जालु होती है। नि. ८० : संज्ञा शब्दों से बने ये शब्द तद्धित कहे जाते हैं। इनका प्रयोग विशेषण _ की तरह होता है। विशेष्य की तरह इनके रूप चलते हैं। . खण्ड १
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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