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________________ पाठ ७४ कृदन्त विशेषण शब्द : योग्यतासूचक करणीअ = करने योग्य होअव्व = होने योग्य पढणीअ = पढ़ने योग्य मुणेअव्व = जानने योग्य हसणीअ = हंसने योग्य नच्चेअव्व = नाचने योग्य कहणीअ = कहने योग्य फासेअव्व = छूने योग्य . पुज्जणीअ = पूजनीय मग्गेअव्व = माँगने योग्य नि. ७७ : (क) मूल धातु में 'अणीअ' प्रत्यय लगने पर विध्यर्थ (योग्यता सूचक) कृदन्त __बनते हैं। यथा-कर+ अणीअ= करणी। (ख) मूल धातु में 'अव्व' प्रत्यय लगने पर धातु के अं को ए होने पर दूसरे प्रकार के योग्यता सूचक कृदन्त बनते हैं। यथा- . मुण+ए+अव्वं = मुणेअव्वं ।। नि. ७८ : इन विशेषण शब्दों के रूप तीनों लिंगों में सभी विभक्तियों में विशेष्य. के अनुसार चलेंगे। उदाहरण वाक्य: स्त्री. नपुं. कहणीओ वितान्तो अत्थि = कहने योग्य वृत्तान्त है। कहणीआ कहा अस्थि = कहने योग्य कथा है। कहणीअं चरित्तं अत्थि = कहने योग्य चरित्र है। मुणेअव्वो धम्मो सुहं दाइ - = जानने योग्य धर्म सुख देता है। स्त्री. मुणेअव्वा आणा किं अत्थि = जानने योग्य आज्ञा. क्या है? नपुं. मणेअव्वं जीवणं अप्पं अस्थि = जानने योग्य जीवन थोड़ा है। प्राकृत में अनुवाद करो : (क) ____ यह पुस्तक पढ़ने योग्य है। वह आदमी हंसने योग्य है। करने योग्य कार्यों को शीघ्र करो। पूजनीय स्त्रियों को प्रणाम करो। वह कथा पढ़ने योग्य है। यह दृष्टान्त कहने योग्य है। पूजनीय पुस्तकों का संग्रह करो। यह विवाह होने योग्य है। वह माँ होने योग्य नहीं है। ये पुस्तकें जानने योग्य हैं। तुम जानने योग्य कथा कहो। वह युवती नाचने योग्य है। वह आदमी छूने योग्य नहीं है। वह वस्तु छूने योग्य है। वह वस्तु माँगने योग्य है। ११० प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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