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________________ इत्तो जत्तो . तहि तेत्ति जेत्तिअ · उतना . जितना . ऐसा (ख) अन्य अर्थवाचक : तद्धितरूप अर्थ तद्धितरूप तद्धितरूप . अर्थ एगहुत्तं एक बार एगत्तो एक ओर से तिहुत्तं तीन बार सवत्तो सब ओर से इस ओर से तत्तो उस ओर से कत्तो किस ओर से जिस ओर से अम्हकेर हमारा तुम्हकेर तुम्हारा परकेर दूसरे का अप्पणय अपना जहि . जहाँ पर वहाँ पर . कहि कहाँ पर अन्नहि अन्य स्थान पर एत्ति इतना केत्तिअ कितना एरिस तारिस वैसा केरिस . कैसा जारिस जैसा... अम्हारिस हमारे जैसा तुम्हारिस. तुम्हारे जैसा . प्रयोग-वाक्य : ते तिहुत्तं भुंजंति - वे तीन बार भोजन करते हैं। सो इत्तो गच्छइ वह इस ओर में जाता है। इदं परकेरं पोत्थअं अत्थि · = यह दूसरे की पुस्तक है। सो एकल्लो किं करइ = वह अकेला क्या करता है? एत्तिअं संचयं वरं णत्थि = इतना संचय अच्छा नहीं है। वासुदेवो केरिसं कज्ज करइ = . वासुदेव कैसा काम करता है? प्राकृत में अनुवाद करो : ग्रामीण लोग वहाँ पढ़ते हैं। दयालु आदमी हिंसा नहीं ना है। घमंड करने वाला सदा दुःख पाता है। आम का फल रसयुक्त है। वह घरेलु है। तुम एक बार क्यों भोजन करते हो? तुम्हारा पुत्र कहाँ पर है? साधु आस्तिक है। तुम जितना मांगोगे वह उतना नहीं देगा। हमारे जैसा श्रीमंत अन्य स्थान पर नहीं है। प्राकृत स्वयं-शिक्षक
SR No.002253
Book TitlePrakrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1998
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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