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________________ तद् भवेद् भक्तपानं तु, संयतानामकल्पिकम्। ददतीं प्रत्याचक्षीत, न मे कल्पते तादृशम् ।।६२।। एवमुत्सिच्यापसl, उज्ज्वाल्य प्रज्वाल्य। निर्वाप्योत्सिच्य निषिच्यापवावतार्य दद्याद् ।।६३।। तद् भवेद् भक्तपानं तु, संयतानामकल्पिकम्। ददतीं प्रत्याचक्षीत, न मे कल्पते तादृशम् ।।६४।। भावार्थः चारों प्रकार का आहार पुष्प-बीज आदि हरी वनस्पति से मिश्रहो; सचित्त जल पर हो, चिंटिओं के दर पर हो, अग्नि पर, एवं अग्नि से संघट्टित हो, अग्नि में काष्ठ डालते हुए, निकालते हुए एक बार या बार-बार ऐसा करते हुए, बुझाते हुए, एक बार यो बार-बारकाष्ठ आदि चूल्हे में डालते हुए, अग्नि पर से कुछ अनाज निकालते हुए, पानी आदि का छिटकाव करते हुए, अग्नि पर रहे हुए आहारादि को अन्य पात्र में लेकर वहोराये या वही बर्तन नीचे लेकर वहोराये अर्थात् सचित्त जल, अग्नि, त्रस काय एवं वनस्पति की किसी भी प्रकार से विराधना करते हुए वहोराये अथवा उपलक्षण से पृथ्वीकाय एवं वाउकाय की विराधनाकर वहोराये तो साधु, कह दे कि यह आहार हमें नहीं कल्पता ।।५७-६४।। हुज्ज कटुं सिलं वावि, इटालं वावि एगया। . . ' ठविअं संकमट्ठार, तं च होज्ज चलाचलं ||६५|| सं.छा.ः भवेत्काष्ठं शिला वाऽपि, इट्टालं वाऽपि एकदा। स्थापितं सङ्कमार्थं, तच्च भवेच्चलाचलम् ।।५।। भावार्थ : चातुर्मास में या अन्य दिनों में भी पानी भराव वाले स्थान पर चलने के लिए काष्ठ, पत्थर की शीला या ईट के टुकड़े आदि रक्खे हो, वे अस्थिर हो तो उस मार्ग पर साधु भगवंतों को चलना नहीं ।।६५।। कारण दर्शाते हुए कहा है कि - - ण तेण भिक्खू गच्छिज्जा, दिट्ठो तत्थ असंजमो। गंभीरं झुसिरं चेव, सबिंदियसमाहिए ||६६|| सं.छा.ः न तेन भिक्षुर्गच्छेत्, दृष्टस्तत्रासंयमः। गम्भीरं शुषिरं चैव, सर्वेन्द्रियसमाहितः ।।६६।। भावार्थ : ऊपर दर्शित मार्ग पर चलने से चारित्र विराधना होती है ऐसा जिनेश्वरों ने देखा है। और शब्दादि विषयों में समाधि युक्त मुनि को अंधकार में रहे हुए और अंदर पोकल (खोखला) ऐसे काष्ठ आदि पर भी नहीं चलना ॥६६।। निस्सेणिं फलगं पीढं, उस्सवित्ताणमारुहे। मंचं कीलं च पासायं, समणट्ठा एव दावए ||६७| श्री दशवैकालिक सूत्रम् - 70
SR No.002252
Book TitleSarth Dashvaikalik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages184
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size15 MB
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