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________________ आजीववत्तिया) और अपने जाति, कुल, शिल्प, कला आदि प्रकाशित करके आजीविका करना अर्थात् आहार आदि लेना ३०, (तत्तानिव्वुडभोइत्तं) तीन उकाले बिना का मिश्रजल पीना ३१, (य) और (आउरस्सरणाणि) मनोनुकूल भोजन न मिलने से गृहस्थावस्था में खाये हुए भोजन को याद करना, या रोगादि से पीड़ित लोगों को आश्रय देना ३२ ।।६।। मूलए सिंगबेरे य, इ[उ]च्छुखंडे अनिव्वुडे। कन्दे मूले य सच्चित्ते, फले बीए य आमर ||७|| सं.छा.: मूलकः शृङ्गबेरंच, इक्षुखण्डमनिर्वृतम्। कन्दो मूलं च सचित्तं, फलं बीजं च आमकम्।।७।। शब्दार्थ - (अनिव्वुडे) बिना अचित्त किया हुआ (मूलए) मूला लेना ३३, (सिंगबेरे य) कच्चा-सचित्त अदरख लेना ३४, (उच्छुखंडे) सभी जाति की सेलड़ी या उसके छीले हुए टुकड़े लेना ३५, (सच्चित्ते) सचित्त (कंदे मूले य) सकरकंद, गाजर, आलू, गोभी आदिजमीकन्दलेना ३६, (आमए) सचित्त (फले) काकड़ी, आम, जामफल आदि फल लेना ३७, (य) और (बीए) तिल, ऊंबी, ज्वारं, चना, आदि सचित्त बीज ग्रहण करना ३८॥७॥ .. सोवच्चले सिंधवे लोणे, रोमालोणे य आमए। सामुद्दे पंसुखारे य, कालालोणे य आमए||४|| सं.छा.ः सौवर्चलं सैन्धवं लवणं, रुमालवणं च आमकम्। .... सामुद्र पांशुखारश्च, कृष्णलवणं च आमकम्।।८॥ शब्दार्थ - (आमए) सचित्त (सोवच्चले) सैंचल नमक लेना ३९, (सिंधवे) सचित्त सेंधा नमक लेना ४०, (लोणे) सचित्त साँभर नमक लेना ४१, (रोमालोणे य) सचित्त रोमक नमक लेना ४२, (सामुद्दे) सचित्त समुद्रीनमक लेना ४३, (पंसुखारे य) सचित्त पांशुक्षार लेना ४४, (आमए) सचित्त (कालालोणे य) कालानमक लेना ४५ ।।८।। ... धुवणेत्ति वमणे य, वत्थीकम्मविरेयणे। अंजणे दंतवण्णे(णे)य, गायाभंगविभूसणे||९|| सं.छा.ः धूपनमिति वमनं च, बस्तिकर्म विरेचनम्। ___ अञ्जनं दन्तवर्णश्च, गात्राऽभ्यङ्गविभूषणे।।९।। शब्दार्थ - (धुवणेत्ति) वस्त्रों को धूप से तपाना, सुगन्धित करना, या रोग शान्ति के वास्ते धूम्रपान करना ४६, (वमणे य) मदनफल आदि औषधी से वमन करना ४७, (वत्थीकम्म) स्नेहगुटिका वगैरह की अधोद्वार में पिचकारी लगवाना ४८; (विरेयणे) बारंबार जुलाब लेना ४९, (अंजणे) निष्कारण नेत्रों में काजल, सुरमा आदि लगाना ५०, (दंतवणे य) निष्कारण दन्तमंजन, दाँतन वगैरह करना ५१, (गायाभंगविभूसणे) श्री दशवैकालिक सूत्रम् - 15
SR No.002252
Book TitleSarth Dashvaikalik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages184
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size15 MB
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